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देश में बुलडोजर का नहीं, कानून का शासन चलता है… CJI ने फिर दिया कड़ा संदेश

भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने राज्य सरकारों की बुलडोजर व्यवस्था पर एक बार फिर हमला बोला. उन्होंने कहा कि भारतीय न्याय व्यवस्था बुलडोजर के शासन से नहीं, बल्कि कानून के शासन से चलती है. उन्होंने अपने उस फैसले का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने ‘बुलडोजर न्याय’ की निंदा की थी.

चीफ जस्टिस ने यह बयान मॉरीशस में अपने एक भाषण के दौरान दिया. उन्होंने अपने भाषण में भारत के कई ऐतिहासिक फैसलों के बारे में भी बात की, जिसमें 1973 का केशवानंद भारती केस, तीन तलाक और इलेक्टोरल बॉन्ड जैसे कई मामले शामिल हैं.

बुलडोजर से नहीं चलता शासन

जस्टिस गवई ने अपने फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि इस फैसले ने एक स्पष्ट संदेश दिया है कि भारतीय न्याय व्यवस्था बुलडोजर के शासन से नहीं, बल्कि कानून के शासन से संचालित होती है. ‘बुलडोजर न्याय’ मामले में दिए गए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी भी अपराध के जवाब में अभियुक्तों के घरों को तोड़ना कानून का उल्लंघन है. कोर्ट ने यह भी कहा था कि यह हमारे मौलिक अधिकार के आर्टिकल 21 का उल्लंघन करता है, जो किसी भी व्यक्ति को रहने का अधिकार देता है. उन्होंने कहा था कि सरकार एक साथ न्यायाधीश, जूरी और कार्यकारी नहीं बन सकती है.

कई ऐतिहासिक फैसलों का किया उल्लेख

अपने व्याख्यान के दौरान चीफ जस्टिस गवई ने कई ऐतिहासिक फैसलों का उल्लेख किया, जिसमें 1973 का केशवानंद भारती केस भी शामिल है. उन्होंने कहा कि इस केस में कोर्ट ने अपने फैसले में संविधान के मूल संरचना के सिद्धांत को स्थापित किया और संविधान के हर हिस्से में संशोधन करने की संसद की शक्तियों को सीमित कर दिया. उन्होंने हाल के कई महत्वपूर्ण फैसलों का भी जिक्र किया, जिनमें मुस्लिमों में तीन तलाक प्रथा को समाप्त करने वाला मामला और इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को चुनौती देने वाले मामला आदि शामिल हैं.

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