बाड़मेर: जिले के बिजराड़ थाना क्षेत्र के मिठडाऊ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) में इलाज के दौरान एक बच्ची की मौत का मामला सामने आया है. यह घटना शुक्रवार की है. बताया जा रहा है कि बच्ची का इलाज मिठडाऊ PHC में चल रहा था. डॉक्टरों ने परिजनों को बच्ची को गंभीर हालत में चौहटन उप जिला अस्पताल ले जाने की सलाह दी थी, लेकिन परिजन उसे घर ले गए. बाद में बच्ची की हालत और बिगड़ गई, जिससे उसकी मृत्यु हो गई.
शनिवार को परिजन बच्ची के शव को लेकर चौहटन उप जिला अस्पताल की मोर्चरी के बाहर धरने पर बैठ गए और इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया. मामले की गंभीरता को देखते हुए चिकित्सा विभाग ने एक मेडिकल बोर्ड का गठन कर दिया है, जो बच्ची की मौत के कारणों की जांच करेगा. इलाज करने वाले डॉक्टर रमेश पुंजानी ने बताया कि बच्ची को निमोनिया था और उसकी हालत गंभीर थी. इसलिए परिजनों को तुरंत चौहटन अस्पताल रेफर करने को कहा गया था, लेकिन वे बच्ची को घर ले गए.
दो दिन से था बुखार, गुरुवार को ले गए थे पीएचसी
बच्ची के पिता अरविंद कुमार ने बताया कि उनकी बेटी जसोदा को मंगलवार से बुखार आ रहा था. गुरुवार को उसे मिठड़ाऊ पीएचसी लेकर गए. यहां उसे दवाइयां दी लेकिन 24 घंटे में भी कोई फर्क नहीं पड़ा. इस पर शुक्रवार दोपहर उनकी पत्नी रूखी देवी दोपहर करीब 1 बजे बेटी को दोबारा पीएचसी लेकर गई. पिता का आरोप है कि यहां डॉक्टर रमेश पुंजानी और नर्सिंगकर्मी शांति देनी ने इंजेक्शन दिया और दवाइयां दीं.
इसके कुछ देर बाद उसकी तबीयत बिगड़ने लगी. पिता का आरोप है कि इंजेक्शन और दवाइयां देने के बाद वह बेहोश हो गई. इस पर स्टाफ ने बच्ची को बेहोशी की हालत में ही घर भेज दिया.
घर पहुंचे तब तक बेटी हो चुकी थी बेसुध
पिता का कहना है कि जब उनकी पत्नी बच्ची को घर लेकर पहुंची तो वह बेसुध हो गई। इसके बाद उसे दोबारा पीएसची लेकर आए, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी. शाम करीब 7 बजे तक परिजन बच्ची के शव के साथ हॉस्पिटल में ही थे. सूचना मिलने पर शाम करीब 7 बजे बीजराड़ थाना अधिकारी मगाराम हॉस्पिटल पहुंचे. इसके बाद बच्ची के शव को मॉर्च्युरी में शिफ्ट करवाया. बीजराड़ थानाधिकारी मगाराम ने बताया- परिजनों ने डॉक्टर व नर्सिंगकर्मी पर गलत इंजेक्शन लगाने का आरोप लगाया है. मेडिकल बोर्ड से बच्ची का पोस्टमॉर्टम करवाया जाएगा. रिपोर्ट देने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.
डॉक्टर बोले- बच्ची सीरियस थी, उसे निमोनिया हो रखा था
डॉक्टर रमेश का कहना है कि जब बच्ची को पीएचसी लेकर आए तब बच्ची सीरियस थी और उसे निमोनिया था. मां को बोला भी था कि उसे चौहटन लेकर जाइए. जब बच्ची को लेकर आए तब उसे नीमूलाइजर कर एंटीबायटिक (सिफटरिक जोन 50एमजी) इंजेक्शन दिया था.
बच्ची के साथ केवल मां थी बाकी कोई नहीं था. मैं ने खुद बाहर से टैक्सी मंगवाकर उसे चौहटन ले जाने के लिए भेजा था. कहा भी था कि यहां ऑक्सीजन की सुविधा नहीं है. वे 2 बजे यहां से चले गए थे. इसके बाद चौहटन न जाकर वे सीधे घर चले गए। शाम करीब 6 बजे उसे दोबारा लेकर आए और आरोप लगाया कि इंजेक्शन से उसकी मौत हो गई. किसी भी दवाई या इंजेक्शन का रिएक्शन उसी समय होता है चार घंटे बाद नहीं. पोस्टमॉर्टम में जो सही है वो सामने आ जाएगा.