बिहार के खदुमपुर विधानसभा से राजद विधायक सतीश कुमार के विरोध में शनिवार को स्थानीय लोगों ने पटना स्थित लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के सरकारी आवास में घुसकर जमकर हंगामा किया. लोग विधायक को दोबारा टिकट न देने की मांग कर रहे थे. लोगों ने जोर से नारे लगाते हुए कहा कि चोर विधायक नहीं चाहिए, सतीश कुमार को हराना है.
भीड़ ने जताया विरोध
मखदुमपुर विधानसभा क्षेत्र से आए सैकड़ों लोग अचानक लालू-राबड़ी के घर के अंदर घुस गए और नारेबाजी करने लगे. उन्होंने आरोप लगाया कि विधायक सतीश कुमार ने क्षेत्र में कोई विकास कार्य नहीं कराया और जनता की समस्याओं की अनदेखी की है. इस कारण उन्हें दोबारा टिकट नहीं दिया जाना चाहिए.
टिकट न देने की मांग
प्रदर्शनकारियों ने पार्टी सुप्रीमो लालू यादव और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से साफ कहा कि अगर राजद ने सतीश कुमार को टिकट दिया तो जनता इसका विरोध करेगी. लोगों का कहना था कि टिकट किसी ऐसे उम्मीदवार को दिया जाए जो क्षेत्र के विकास और जनता की भलाई के लिए काम करे. सतीश कुमार को चोर कहा.
घर के अंदर मचा हंगामा
लालू-राबड़ी आवास पर अचानक हुए इस विरोध प्रदर्शन से वहां अफरा-तफरी का माहौल बन गया. सुरक्षा कर्मियों ने लोगों को बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन कुछ देर तक आवास परिसर में नारेबाजी और हंगामा होता रहा.
पार्टी में बढ़ी सिरदर्दी
इस पूरे प्रकरण से राजद नेतृत्व की परेशानी बढ़ गई है. एक ओर चुनाव नजदीक हैं, दूसरी ओर टिकट बंटवारे को लेकर अंदरूनी विरोध तेज हो रहा है. पार्टी को अब यह तय करना होगा कि मखदुमपुर से मौजूदा विधायक को टिकट दिया जाए या किसी नए चेहरे को मौका मिले.
बिहार में कब है विधानसभा चुनाव?
बिहार में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया अक्टूबर और नवंबर 2025 के बीच पूरी की जाएगी. इस चुनाव में राज्य की 243 विधानसभा सीटों पर जनता अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करेगी. अभी तक चुनाव आयोग ने तारीखें घोषित नहीं की हैं, लेकिन मतदाता सूची अपडेट, चुनावी घोषणापत्र और मतदान प्रक्रिया की तैयारियां इसी समय के आसपास शुरू हो जाती हैं. चुनाव को लेकर राजनीतिक दल पहले से ही अपने उम्मीदवार तय करने और चुनावी रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं.
मखदुमपुर विधानसभा बिहार के जहानाबाद जिले में स्थित है. यहां की जनता पहले भी अपने विधायक का विरोध कर चुकी है. जुलाई महीने में एक सभा के दौरान भी स्थानीय जनता ने विधायक सतीश कुमार का विरोध किया.
एक बैठक में कार्यकर्ताओं का कहना था कि विधायक बनने के बाद उनका रवैया पूरी तरह तानाशाही भरा रहा. उन्होंने न तो क्षेत्र में किसी ठोस विकास की पहल की और न ही अपने साथियों और कार्यकर्ताओं का सम्मान किया. कुछ लोगों का यह भी आरोप है कि वे जातीय राजनीति को बढ़ावा दे रहे हैं और समाज में विभाजन पैदा कर रहे हैं.