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रेन वाटर हार्वेस्टिंग राष्ट्रीय आवश्यकता, योगी सरकार ने उठाया बड़ा कदम

उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जल संकट से निपटने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग और जल संरक्षण पर विशेष जोर दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार किसानों को बेहतर सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। नलकूपों के आधुनिकीकरण और जल संरक्षण की पहलों से कृषि उत्पादन में वृद्धि और किसानों की आय में सकारात्मक बदलाव आने की संभावना है।

मुख्यमंत्री ने नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में बताया कि चेकडैम, तालाब और ब्लास्टकूप वर्षा जल को रोककर भूमि में समाहित करते हैं। यह न केवल स्थानीय प्राथमिकता है बल्कि राष्ट्रीय आवश्यकता भी है। उन्होंने कहा कि 6,448 चेकडैम बनाकर औसतन हर चेकडैम से 20 हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई क्षमता विकसित हुई है। कुल मिलाकर इससे 1,28,960 हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई क्षेत्र सृजित हुआ है और हर साल 10 हजार हेक्टेयर मीटर से अधिक भूजल रिचार्ज हो रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्षा जल संचयन और ग्राउंड वाटर रिचार्जिंग के लिए लगातार कदम उठाए जा रहे हैं। वित्तीय वर्ष 2022-23 से अब तक 1,002 चेकडैम की डी-सिल्टिंग और मरम्मत की गई है। साथ ही 16,610 तालाबों में से 1,343 का पुनर्विकास और जीर्णोद्धार किया गया है। वर्ष 2017-2025 तक 6,192 ब्लास्टकूप के माध्यम से 18,576 हेक्टेयर सिंचाई क्षमता विकसित हुई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में 100 वर्ग मीटर से बड़े सभी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य होनी चाहिए। यह शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में जल संरक्षण के लिए निर्णायक कदम साबित होगा। 2017 तक प्रदेश में 82 अतिदोहित और 47 क्रिटिकल क्षेत्र थे, जो सतत प्रयासों से घटकर 50 अतिदोहित और 45 क्रिटिकल क्षेत्र रह गए हैं।

नलकूपों के पानी के दुरुपयोग को रोकने के लिए वैज्ञानिक पद्धति अपनाने के निर्देश दिए गए। इसके साथ ही प्रमुख सिंचाई परियोजनाओं जैसे सरयू नहर, बाण सागर और मध्य गंगा की समीक्षा कर कमियों को दूर करने का निर्देश दिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन प्रयासों से किसान वर्ष में दो से तीन फसल लेने में सक्षम होंगे और जल संकट से निपटने में मदद मिलेगी।

उत्तर प्रदेश सरकार की यह पहल जल संरक्षण और किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही है। आगामी वर्षों में इन पहलों को और तेज कर प्रदेश के जल संकट वाले क्षेत्रों को पूरी तरह सामान्य श्रेणी में लाने का लक्ष्य रखा गया है।

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