ग्वालियर में भाजपा के अंदर गुटबाजी का खेल लगातार दिख रहा है। 17 दिन बाद केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ग्वालियर सांसद भारत सिंह कुशवाह के बिना तीन घंटे तक विकास कार्यों की समीक्षा की। प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट की अध्यक्षता में हुई बैठक में ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर और उद्यानिकी मंत्री नारायण सिंह कुशवाह भी मौजूद रहे।
पिछले माह से ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में सक्रिय हुए सिंधिया अक्टूबर के पहले सप्ताह में फिर मैदान में दिखे। नेताओं की अलग-अलग बैठकों का कारण स्पष्ट है कि ग्वालियर में तोमर-सिंधिया गुटबाजी चरम पर है। मंच साझा करने से लेकर विकास कार्यों की बैठकों तक दोनों नेता एक साथ नहीं दिखते। विकास कार्यों की बैठक की अध्यक्षता प्रभारी मंत्री करते हैं, लेकिन असल में केंद्रीय मंत्री ही इसे लीड करते हैं।
सिंधिया ने बैठक के दौरान पांच महत्वपूर्ण बिंदुओं—सड़क, सीवर, पेयजल, एलिवेटेड रोड और पार्किंग—पर समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि ग्वालियर की सड़कें बदहाल हैं और इन्हें अलग-अलग श्रेणी में बांटकर सुधार की योजना बनाई जाए। सिंधिया ने कहा कि जो भी ठोस कार्य योजना बनाई जा रही है, उसमें किसी भी बाधा या दवाब की जानकारी की पर्ची बनाई जाए और उसका समाधान किया जाए।
बैठक में सांसद के उपस्थित न होने पर सिंधिया ने कहा कि वे व्यस्त होंगे और उनकी स्थिति के बारे में उनसे ही पूछा जा सकता है। मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ने भी कहा कि संभव है कि सांसद व्यस्त होने के कारण बैठक में शामिल नहीं हो सके। पिछली बैठक में भी सांसद कुशवाह मौजूद नहीं थे।
सिंधिया ने ग्वालियर में संचालित सभी बड़े प्रोजेक्टों पर चर्चा करते हुए बुनियादी सुविधाओं जैसे सीवर, सड़क, पेयजल और पार्किंग की स्थिति का भी जायजा लिया। उनके निर्देशों के मुताबिक अधिकारी यह जानकारी विधानसभावार प्रस्तुत करेंगे।
यह बैठक ग्वालियर में विकास कार्यों की गति और प्रभावी निगरानी के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है। सिंधिया की सक्रियता ने स्पष्ट किया कि गुटबाजी के बावजूद विकास कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है और प्रशासनिक अधिकारियों को योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए निर्देशित किया गया है।
इस तरह ग्वालियर में राजनीतिक गुटबाजी के बीच भी केंद्रीय मंत्री द्वारा विकास कार्यों की समीक्षा जनता और प्रशासन के लिए संदेश देती है कि कार्य प्रभावित नहीं होंगे।