मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में जहरीले कफ सिरप के सेवन से बच्चों की मौत ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इस मामले में अब तक 14 बच्चों की जान गई है, जिससे मध्य प्रदेश, राजस्थान, केरल और तमिलनाडु की सरकारें सख्त कार्रवाई में जुट गई हैं। तमिलनाडु की जांच में पता चला कि कोल्ड्रिफ नामक कफ सिरप में खतरनाक मात्रा में जहरीला तत्व था।
इस घटना के बाद मध्य प्रदेश की सरकार ने सिरप पर तत्काल बैन लगा दिया और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की घोषणा की। छिंदवाड़ा से डॉक्टर प्रवीण सोनी को गिरफ्तार किया गया है। उन्हें और सिरप बनाने वाली चेन्नई की कंपनी पर बीएनएस और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया। राजस्थान सरकार ने ड्रग कंट्रोलर को सस्पेंड कर दिया है और तमिलनाडु में भी सिरप पर बैन लगाया गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस त्रासदी को केवल दुर्घटना नहीं बल्कि मानव निर्मित संकट करार दिया। उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार से मांग की है कि प्रत्येक मृत बच्चे के परिवार को 50-50 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इलाज करा रहे बच्चों का खर्च उनके माता-पिता खुद उठा रहे हैं और सरकार की ओर से कोई पर्याप्त सहायता नहीं मिल रही। कमलनाथ ने यह भी अनुरोध किया कि सभी बीमार बच्चों के उपचार का पूरा खर्च राज्य सरकार उठाए।
दिल्ली सरकार भी अलर्ट मोड पर आ गई है और बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर कोल्ड्रिफ कफ सिरप पर पूरी तरह से रोक लागू की गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दो साल से कम उम्र के बच्चों को यह सिरप न देने की एडवाइजरी जारी की है। दिल्ली की स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि मामले की पूरी जांच समाप्त होने तक खरीद पर रोक रहेगी।
मामले की गंभीरता ने सभी राज्य सरकारों और केंद्रीय एजेंसियों को सक्रिय कर दिया है। बच्चों की सुरक्षा और उनके जीवन के अधिकार की रक्षा के लिए अब इस मामले की गहन जांच और दोषियों को कड़ी सजा दिलाने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है।
इस घटना ने फार्मास्यूटिकल सुरक्षा और सरकार की निगरानी प्रणाली की सख्त समीक्षा की आवश्यकता को भी उजागर किया है।