रायबरेली: त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियों के बीच शासन ने पंचायतों के लिए खजाना खोल दिया है. जिले को 26 करोड़ रुपये का बजट जारी हुआ है.
चुनावी माहौल में आई इस सौगात से पंचायत प्रतिनिधियों के चेहरे खिल गए हैं. प्रधानों से लेकर ब्लाॅक प्रमुखों और जिला पंचायत अध्यक्ष तक बजट आवंटन को लेकर गदगद हैं. चुनाव से पहले यह वित्तीय तड़का न सिर्फ विकास की उम्मीदें बढ़ा रहा है, बल्कि सियासी रंग को भी और गाढ़ा कर रहा है.
शासन से जारी बजट में अकेले जिला पंचायत को तीन करोड़ नवासी लाख रुपये मिले हैं। वहीं, जिले के 18 ब्लॉकों को तीन करोड़ नब्बे लाख रुपये का आवंटन किया गया है। सबसे बड़ा हिस्सा 980 ग्राम पंचायतों को मिला है, जिन्हें कुल 18 करोड़ 25 लाख रुपये का बजट बांटा गया है। पंचायतीराज विभाग ने यह बजट 15वें वित्त आयोग के बुनियादी अनुदान मद से जारी किया है। आबादी के हिसाब से पंचायतों और ब्लॉकों को इसका हिस्सा दिया जाएगा. तीनों पंचायतों से जिले के ग्राम पंचायतों में ही विकास कार्य होंगे. सड़क, खड़ंजा, नाली आदि के काम कराए जाएंगे.
जिला पंचायत राज अधिकारी सौम्यशील सिंह ने बताया कि जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली समिति की अनुमति के बाद वित्तीय नियमों के तहत पंचायतों को धनराशि आवंटित होगी. बजट का खर्च केवल विकास कार्यों पर किया जाएगा और विभागीय अधिकारी इसकी निगरानी करेंगे.
चुनाव से पहले ‘विकास का चारा’
राजनीतिक हलकों में बजट जारी होने को चुनावी रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है. ग्रामीण इलाकों में सियासत का बड़ा आधार पंचायतें ही होती हैं. ऐसे में चुनाव से पहले बजट का जारी होना राजनीतिक रंग को और गाढ़ा करेगा. विकास कार्यों की रफ्तार तेज कर के मतदाताओं को सीधे साधने की कोशिश मानी जा रही है. गांव-गांव में बजट की चर्चा जोरों पर है. प्रधानों और पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि लंबे समय से रुके हुए विकास कार्य अब रफ्तार पकड़ेंगे.