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गाजीपुर: साझी विरासत को संभाला… विदेशी यूनिवर्सिटी ने दिया युवक को ये खास सम्मान…

गाजीपुर: किसी विषय पर पीएचडी करने के बाद ही डॉक्टरेट की उपाधि मिलती है, वही गाजीपुर के एक युवा जो साझी विरासत के साथ ही संग्रह का कार्य पिछले 20 सालों से करता चला आया है और उसके नायाब संग्रह और साझी विरासत को सवारने को लेकर यूरो एशियन विश्वविद्यालय स्टोनिया की तरफ से गाजीपुर के दिलदारनगर के रहने वाले कुंवर नसीम राज सिकरवार को डॉक्टरेट की उपाधि देकर सम्मानित किया है यह कार्यक्रम दिल्ली मैं एक दिन पूर्व दिया गया जिसमें फिल्म एक्टर राहुल राय के साथ ही स्टोनिया विश्वविद्यालय के अधिकारी भी शामिल रहे.

12वीं पीढ़ी से पूर्व के पूर्वज हिंदू समाज से आते हैं और जिन्हें यह गर्व से बताते हैं कि हमारे पूर्वज हिंदू थे बाद में कन्वर्ट होकर मुसलमान हुए हैं-

सम्मान पाने के बाद गाजीपुर के रेलवे स्टेशन पर ट्रेन से उतरने पर उनके चाहने वालो ने उनका भव्य स्वागत किया. बता दे कुंवर नसीम राजा सिकरवार है जिनकी 12वीं पीढ़ी से पूर्व के पूर्वज हिंदू समाज से आते हैं और जिन्हें यह गर्व से बताते हैं कि हमारे पूर्वज हिंदू थे बाद में कन्वर्ट होकर मुसलमान हुए हैं और आज भी यह दोनों परिवारों के विरासत को आज भी संभाल कर रखे हुए हैं साथ ही इनके द्वारा पिछले 20-25 सालों से कई तरह के नायाब संग्रह का अभी कार्य पिछले 20-25 सालों से किया जाता रहा है. जिसमें फारसी दस्तावेज ,पांडुलिपियों ,डाक टिकट, शादियों का कार्ड,ईट के साथ ही कई ऐसे नायाब संग्रह हैं जिसे देखने और सुनने के बाद लोगों को एक बार सोने को मजबूर होना पड़ता है कि एक अदना सा इंसान कैसे इतनी सारे संग्रह अकेले किया होगा और इतना ही नहीं इन्होंने अपनी मेहनत से संग्रह से लेकर संग्रहालय तक का सफर पूरा कर लिया है. इन्हीं सब उपलब्धियां को देखते हुए पूर्व में इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी इनका नाम दर्ज हो चुका है और वही अब इन्हें यूरो एशियन विश्वविद्यालय स्टोनिया के द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपलब्धि से नवाजा गया है जिसके बाद अब कुंवर नसीम राजा सकरवार डॉक्टर कुंवर नसीम राजा सकरवार बन गए हैं.

“राष्ट्रीय विरासत के संरक्षण” को बचाने में इनका योगदान अतुलनीय है-

यूरो एशियन विश्वविद्यालय स्टोनिया के द्वारा कुंअर मुहम्मद नसीम रज़ा सिकरवार को उनके उत्कृष्ट कौशल और ज्ञान के माध्यम से समाज में उनके उत्कृष्ट योगदान और उत्कृष्ट नेतृत्व के लिए मानद उपाधि से अलंकृत किया जाना है. बताते चलें कि जनपद गाजीपुर के ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षणकर्ता है एवं दुर्लभ वस्तुओं के संग्रह कर एक संग्रहालय स्थापित कर दिया। “राष्ट्रीय विरासत के संरक्षण” को बचाने में इनका योगदान अतुलनीय है. जिनको पूर्व में भी दर्जनों राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों में इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड एवं एशिया बुक ऑफ रिकार्ड में जगह पा चुके हैं.

यूरो एशियन विश्वविद्यालय, स्टोनिया का उद्देश्य एक बेहतर विश्व के लिए लोगों, विचारों और कार्यों को प्रोत्साहित करना है. ‘राष्ट्रीय धरोहर संरक्षण‘ के क्षेत्र में कुंअर मुहम्मद नसीम रज़ा सिकरवार को मानद उपाधि से सम्मानित होकर गांव वापसी होने की सूचना पर लोगों ने उनका जगह-जगह स्वागत किया.

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