औरंगाबाद: शहर के ब्रह्मर्षि चौक से उत्तर श्रीकृष्ण नगर में आयोजित श्री महाविष्णुयज्ञ में रविवार की रात बैकुंठवासी रंगरामानुजाचार्य जी महाराज के परम शिष्य महामंडलेश्वर परम पूज्य श्री स्वामी कृष्ण प्रपन्नाचार्य जी महाराज के प्रवचन के दौरान बही अध्यात्म की गंगा में हजारों श्रद्धालु आत्म विभोर हो उठे और भगवत भजन तथा वेद, पुराणों एवं विभिन्न ग्रंथों की ऋचाओं का जमकर रसपान किया.प्रवचन के दौरान स्वामी कृष्ण प्रपन्नाचार्य महाराज ने श्रद्धालुओं को इस नश्वर जीवन को ईश्वर के प्रति समर्पित होने के गूढ़ रहस्य को बताया और कहा कि हमारी आत्मा अमर है और वस्त्र की तरह वह एक शरीर से दूसरे शरीर में वास करती है. जरूरत है कि हम अपने मन को ईश्वर के प्रति कितना एकाग्र रख पाते है।मोह माया से खुद को कितना दूर कर पाते है. यदि हमारा चित निष्काम है तो ही हम भगवान के साकार रूप का दर्शन कर पाएंगे.
उन्होंने कहा कि जीव जब माया के बंधन में पड़ जाता है, तो उसे यह एहसास नहीं रहता कि वह ईश्वर का ही अंश है. अज्ञानता और माया के कारण ही जीव अपने वास्तविक स्वरूप को भूल जाता है और सांसारिक दुखों में फंस जाता है. यह ज्ञान व्यक्ति को शरीर से अनासक्त रहने और दुख-सुख के प्रति तटस्थ भाव अपनाने के लिए प्रेरित करता है। यह सिखाता है कि सभी में ईश्वर का अंश है, इसलिए सभी के प्रति प्रेम और करुणा का भाव रखना चाहिए.आत्मज्ञान प्राप्त करने से जीव अपने मूल स्वरूप को पहचान पाता है और अज्ञानता के अंधकार से मुक्त होकर अनंत सुख का अनुभव कर सकता है. प्रवचन के दौरान श्रद्धालुओं ने खुद को प्रवचन के शब्दों के साथ आत्मसात करने की कोशिश की और मंत्र मुग्ध हो गए.
प्रवचन की समाप्ति के बाद रात्रि दस बजे महायज्ञ समिति के अध्यक्ष रामानुज शर्मा ने बताया कि महायज्ञ की शुरुआत 23 सितंबर से श्रीमद भगवत कथा से शुरू हुई जो 29 अगस्त तक चली. तत्पश्चात 30 सितंबर से 02 अक्टूबर तक श्री हरिनाम संकीर्तन का आयोजन हुआ.उन्होंने बताया कि 03 अक्टूबर से कलश यात्रा, जलाहरण, मृतिकाहरण एवं मंडप प्रवेश का आयोजन हो रहा है और 07 अक्टूबर को पूर्णाहुति के साथ विशाल भंडारे का आयोजन होगा.उन्होंने बताया कि भंडारे के दौरान एक लाख से अधिक लोगों के बीच प्रसाद वितरण किए जायेंगे. उन्होंने बताया कि इस दौरान प्रतिदिन दैनिक वृंदावन, अवध से आए विद्वतजनों द्वारा प्रवचन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए.