पटना में लंबे इंतजार के बाद मेट्रो रेल सेवा की शुरुआत हो गई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार सुबह 11 बजे पाटलिपुत्र बस डिपो (आईएसबीटी) से पटना मेट्रो का उद्घाटन किया. इस अवसर पर डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विधानसभा स्पीकर विजय कुमार सिन्हा भी मौजूद रहे. उद्घाटन के बाद सीएम ने मेट्रो ट्रेन से भूतनाथ स्टेशन तक सफर भी किया. हालांकि, जनता के लिए पटना मेट्रो की सेवाएं 7 अक्टूबर से शुरू होंगी.
पटना में मेट्रो के उद्घाटन के साथ ही पटना देश का 24वां मेट्रो शहर बन गया है. ये परियोजना शहर की बढ़ती ट्रैफिक समस्या को कम करने और सार्वजनिक परिवहन को मजबूत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है.
4.5KM लंबे रूट पर चलेगी मेट्रो
पहले चरण में मेट्रो ब्लू लाइन (कॉरिडोर-2) के प्राथमिकता वाले हिस्से पर संचालित की गई है जो आईएसबीटी स्टेशन से जीरो माइल और भूतनाथ स्टेशन तक 4.5 किलोमीटर लंबा रूट कवर करेगी. इस रूट पर अधिकतम किराया 30 रुपये होगा, जबकि एक स्टेशन का सफर करने के लिए 15 रुपये लगेंगे. मेट्रो सुबह 8 बजे से रात 10 बजे तक चलेगी और हर 20 मिनट में ट्रेन उपलब्ध होगी. हर दिन 40 से 42 फेरे लगाए जाएंगे. प्रत्येक ट्रेन में तीन कोच हैं जो लगभग 138 बैठे और 945 खड़े यात्रियों को ले जा सकती है.
मधुबनी पेंटिंग से सजाए गए कोच
पटना मेट्रो के कोचों को मधुबनी पेंटिंग से सजाया गया है, जिसमें बिहार की सांस्कृतिक पहचान झलकती है. यात्रियों की सुरक्षा के लिए 360 डिग्री सीसीटीवी कैमरा, इमरजेंसी बटन और ड्राइवर से सीधी बातचीत के लिए माइक लगाए गए हैं. महिलाओं और दिव्यांगों के लिए 12 आरक्षित सीटें हैं.
पटना मेट्रो की टाइमलाइन
पटना मेट्रो को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जाता है. 2013 में उन्होंने इसकी योजना बनाई और 11 जून को कैबिनेट ने डीपीआर तैयार करने की मंजूरी दी. जून 2014 में प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिली जो 5 चरणों में प्रस्तावित है. 17 फरवरी 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले कॉरिडोर की आधारशिला रखी. 18 फरवरी 2019 को पटना मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (PMRCL) की स्थापना हुई, जिसे प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी सौंपी गई. दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) को सलाहकार बनाया गया. 4 मार्च 2019 को PMRCL ने इंदिरा भवन में अपना ऑफिस खोला. जनवरी 2022 में L&T कंपनी ने फेज-1 के कॉरिडोर-2 के डिजाइन और निर्माण का ऑर्डर हासिल किया. पहले फेज में पांच स्टेशन पूरा करने का लक्ष्य था. कुल लागत 13,925.5 करोड़ रुपये अनुमानित है, जिसमें बिहार सरकार, केंद्र सरकार और जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) का योगदान है.