सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस बीआर गवई पर सोमवार को हुए हमले को लेकर राजनीतिक नेताओं ने प्रतिक्रिया दी है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि यह हमला सिर्फ न्यायपालिका के प्रमुख पर नहीं, बल्कि हमारे संविधान की मूल भावना पर किया गया है। उन्होंने कहा कि इस तरह की घृणा और हिंसा के लिए हमारे देश में कोई जगह नहीं है और इसे हर स्तर पर नकारा जाना चाहिए।
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी सोशल मीडिया पर पोस्ट करके हमले की कड़ी निंदा की। उन्होंने लिखा कि सुप्रीम कोर्ट के भीतर आदरणीय चीफ जस्टिस पर हमला संविधान और न्याय प्रणाली पर भी हमला है। सोनिया गांधी ने लोगों से एकजुट होकर न्यायपालिका के इस सम्मान की रक्षा करने की अपील की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी घटना पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि उन्होंने CJI बीआर गवई से बात की है। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट परिसर में हुए हमले से हर भारतीय आहत है। पीएम मोदी ने इस कृत्य को अत्यंत निंदनीय बताया और न्यायमूर्ति गवई द्वारा दिखाई गई धैर्य और संयम की सराहना की। उन्होंने यह भी कहा कि यह घटना न्याय के मूल्यों और संविधान की भावना को मजबूत करने की आवश्यकता को दर्शाती है।
पूरा मामला सोमवार सुबह सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सामने आया। एक वकील ने चीफ जस्टिस के पास आकर जूता फेंकने का प्रयास किया, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने उसे तुरंत पकड़ा। आरोपी वकील ने ‘सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान’ जैसे नारे भी लगाए। कोर्ट में हंगामा बढ़ता देख सुरक्षाकर्मी ने उसे बाहर ले गए। पूरे घटनाक्रम के दौरान चीफ जस्टिस गवई शांत और संयमित रहे।
इस घटना के बाद CJI बीआर गवई ने आरोपी वकील को माफ कर दिया और सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री से कहा कि इसे नजरअंदाज किया जाए। रजिस्ट्री ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिए कि वकील के खिलाफ कोई कार्रवाई न की जाए। आरोपी राकेश किशोर को पुलिस ने छोड़ दिया।
राजनीतिक और सामाजिक तौर पर इस घटना ने न्यायपालिका और संविधान की सुरक्षा पर चर्चा को तेज कर दिया है। नेताओं की निंदा और आम नागरिकों की प्रतिक्रियाओं से यह साफ है कि देश के लोग न्याय और संविधान की गरिमा बनाए रखने के लिए एकजुट हैं।