मध्यप्रदेश सरकार ने प्रतिबंधित कफ सिरप कोल्ड्रिफ के खिलाफ बड़ा अभियान शुरू किया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि प्रदेश भर के मेडिकल स्टोरों से सिरप का स्टॉक जब्त किया जाए और जिन परिवारों ने यह सिरप लिया है, उनके घरों से इसे वापस लिया जाए। इसके लिए आशा कार्यकर्ताओं, सरकारी कर्मचारियों और अन्य अधिकारियों का सहयोग सुनिश्चित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सभी दवाओं पर लिखी गई चेतावनी और सावधानियों का पालन हो और उनकी प्रभावशीलता का आकलन किया जाए। उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट किया कि जिन चिकित्सकों ने चार साल से छोटे बच्चों को इस सिरप की सलाह दी, उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाए।
मध्यप्रदेश में यह कार्रवाई बच्चों की मौत के बाद हुई। छिंदवाड़ा जिले के परासिया में 24 अगस्त 2024 को चार साल के शिवम राठौर को कोल्ड्रिफ सिरप दिया गया, जिससे बच्चे की किडनी फेल हो गई और 4 सितंबर को उनकी मौत हो गई। इस घटना के बाद कलेक्टर ने कोल्ड्रिफ और नेस्ट्रो-डीएस सिरप के उपयोग और बिक्री पर रोक लगा दी।
राज्य सरकार ने 29-30 सितंबर को क्षेत्र में जाकर 19 दवाओं के सैंपल लिए। एनआईवी पुणे ने भी माइक्रोबायोलॉजी जांच के लिए बाडी फ्लूड के सैंपल लिए। जांच में कोल्ड्रिफ में 46.20 प्रतिशत डीईजी की पुष्टि हुई, जबकि तमिलनाडु सरकार की जांच में यह 48.60 प्रतिशत पाया गया। इन रिपोर्ट्स के आधार पर मध्यप्रदेश सरकार ने पूरे प्रदेश में सिरप पर प्रतिबंध लगाया।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को उच्चस्तरीय बैठक में निर्देश दिए कि लापरवाही करने वालों पर कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि छिंदवाड़ा और आसपास के जिलों में अभियान तेज किया जाए ताकि कोई और बच्चा इस सिरप से प्रभावित न हो।
इस मामले में राजस्थान और तमिलनाडु सरकारें भी सक्रिय रही। राजस्थान ने एक बच्चे की मौत के बाद तत्काल रोक लगाई और ड्रग कंट्रोलर को निलंबित कर दिया। तमिलनाडु ने 48 घंटे में जांच रिपोर्ट जारी की।
सरकार का मानना है कि इस अभियान से बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी और अवैध दवाओं के वितरण पर पूरी तरह रोक लगेगी। सभी दुकानों और परिवारों को अभियान में शामिल कर दवाओं की सही जानकारी और सुरक्षित उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा।