उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में कर्ज के बोझ तले दबा एक किसान अपनी जिंदगी से हारे हुए नजर आया और उसने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतक किसान की पहचान द्वारिका सिंह के रूप में हुई है। जानकारी के अनुसार, उन्होंने 11 साल पहले 57 हजार रुपये का कर्ज लिया था, जो समय के साथ बढ़कर लगभग 1.44 लाख रुपये हो गया।
मृतक किसान तिंदवारी थाना क्षेत्र के अमली कौर गांव के मजरा भगदरा डेरा का निवासी था। रविवार की रात वह घर से गुटखा लेने के बहाने निकले थे, लेकिन वापस नहीं लौटे। परिजनों ने उनकी खोजबीन की और सोमवार की सुबह घर के पास एक पेड़ में फंदे से लटके हुए शव की सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
किसान पर बैंक से लगातार नोटिस आने का दबाव था। मृतक की मां शिवकली ने बताया कि बेटे ने 23 जुलाई 2014 को आर्यावर्त बैंक की बांदा शाखा से कर्ज लिया था। मई महीने में उन्हें पहला नोटिस मिला और अगस्त में दूसरा नोटिस आया। इसके अलावा 10 अक्टूबर को लोक अदालत में कर्ज भरपाई की सुनवाई तय थी। इस लगातार दबाव और कुर्की या जेल जाने के डर के कारण द्वारिका ने यह कदम उठाया।
परिवार ने आरोप लगाया कि कर्ज का दबाव और बैंक नोटिस आने के बाद मृतक मानसिक रूप से तनाव में था। उसकी एक बेटी कविता और एक बेटा अनिल है। घटना ने गांव और आसपास के क्षेत्रों में शोक और चिंता की लहर पैदा कर दी है।
पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। यह घटना किसानों की आर्थिक कठिनाइयों और कर्ज के बढ़ते दबाव को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है। इलाके के लोग बैंकिंग और कर्ज प्रबंधन की बेहतर प्रणाली की मांग कर रहे हैं ताकि भविष्य में ऐसी दुखद घटनाओं को रोका जा सके।
किसान आत्महत्या का यह मामला एक बार फिर यह दर्शाता है कि छोटे कर्ज और समय पर ऋण प्रबंधन की कमी किस तरह से ग्रामीण जीवन पर गंभीर असर डाल सकती है और परिवारों के लिए मानसिक और आर्थिक संकट उत्पन्न कर सकती है।