गिद्धों के लिए एक अनूठा रेस्तरां भोपाल में खुलने वाला है. उन्हें केमिकल फ्री भोजन मिलेगा. इसके लिए भोपाल वन डिवीजन और मदर बुल फार्म के बीच एक MoU (समझौता) हुआ है. दरअसल, गिद्धों की बढ़ती संख्या और घटते भोजन को देखते हुए भोपाल वन मंडल ने गिद्धों के लिए भोजन व्यवस्था करने का निर्णय लिया है. इसके तहत मदरबुल फार्म के मवेशी मरने के बाद गिद्ध रेस्तरां में लाए जाएंगे.
प्रदेश में 10 हजार वल्चर : प्रदेश में 2019 में वल्चर गणना में 9,449 मिले थे. वर्ष 2024 में इनकी संख्या बढ़कर औसतन 10 हजार हो गई है. दूसरे नंबर तमिलनाडु है, यहां पर 5 हजार वल्चर है. 4 हजार वल्चर के साथ गुजरात तीसरे नंबर पर है. भोपाल वन डिवीजन के DFO आलोक पाठक ने बताया कि वन विभाग, मदरबुल फार्म से मृत मवेशी लेगा. इसे मिंडोरा और मदरबुल फार्म के बीच करीब दो एकड़ के बाड़े में रखा जाएगा. यह रेस्तरां सितंबर तक शुरू हो जाएगा.
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— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
मप्र राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम के डॉ. आनंद सिंह कुशवाहा ने बताया मदर बुल फार्म में तकरीबन 750 मवेशी हैं. उनके भोजन में केमिकल नहीं रहता है. मवेशियों के स्वास्थ्य की जांच भी होती है. यहां मवेशियों की मौत उम्रदराज होने पर होती है.
वल्चर रेस्तरां सबसे पहले साउथ अफ्रीका में 1966 में खुला था. इसके बाद कंबोडिया, स्विट्जरलैंड , स्पेन, नेपाल और भारत में मुंबई से 150 किलोमीटर दूर रायगढ़ इलाके में रेस्तरां है. दरअसल, रायगढ़ के नजदीक बसे फसंध वाइल्ड लाइफ पार्क में गिद्धों का पहला रेस्तरां 1983 में खुला था. यहां पर गिद्धों के संरक्षण के प्रयास किए गए हैं. इनकी संख्या बढ़ाने के लिए शेल्टर हाउस व लैब टेस्टेड मांस डाला जाता है. बाद में किसानों से मृत मवेशियों को दान में मांगा जाने लगा. अब कई जगहों पर गिद्ध रेस्तरां खुल रहे हैं, उनमें लैब टेस्ट मांस दिए जाने का प्रावधान होना प्रस्तावित है.