Left Banner
Right Banner

ओबीसी महासभा ने मशाल रैली निकालकर किया प्रदर्शन, तीन सूत्रीय मांगों पर हुए लामबंद

Chattisgarh: बालोद में पिछड़ा वर्ग महासभा ने कलेक्टोरेट परिसर तक मशाल यात्रा निकालकर तीन सूत्रीय मांगों को लेकर अपनी बात रखी. जिसमें आगामी जनगणना में ओबीसी वर्ग के लिए अलग कॉलम करने की मांग की गई. साथ ही साथ 27 प्रतिशत आरक्षण का मामला जो प्रदेश में लंबे समय से अटका है उसे लागू करने की मांग की. पिछड़ा वर्ग महासभा ने कवर्धा कांड में प्रशांत साहू समेत हुई मौतों को लेकर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है. पिछड़ा वर्ग महासभा ने केंद्र के नाम शासन को ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगें रखी हैं.

ओबीसी महासभा के प्रदेश अध्यक्ष राधेश्याम साहू ने बताया कि लंबित राष्ट्रीय जनगणना 2021 के फार्मेट में ओबीसी के लिए कॉलम नम्बर 13 में पृथक से कोड नम्बर निर्धारित कर जनगणना किया जाए. छत्तीसगढ़ में लंबित ओबीसी आरक्षण शीघ्र लागू करने की मांग लेकर मशाल रैली निकाली गई है. संविधान में सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े हुए समुदायों को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्ग के रूप में 3 वर्ग बनाए गए हैं.

”जनगणना में इन तीनों वर्गों की दशाओं के आकड़े एकत्रित किए जाने चाहिए.अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग की जनगणना तो होती है किन्तु राष्ट्रीय जनगणना फार्मेट में अन्य पिछड़ा वर्ग का पृथक से कोड नम्बर नहीं होने के कारण अन्य पिछड़ा वर्ग की जनगणना नहीं होती है.पिछड़ा वर्ग की जनगणना यदि होती है तो उन्हें अनुपात के आधार पर आरक्षण मिलेगा और उनके हित हो पाएगा.”- राधेश्याम साहू, प्रदेशाध्यक्ष ओबीसी महासभा

बालोद जिलाध्यक्ष भगवती सोनकर ने बताया कि पिछले 3 वर्षों से लंबित ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत छत्तीसगढ़ राज्य में शीघ्र लागू किया जाए. संविधान लागू होने के 43 साल बाद 1993 माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्णयानुसार ओबीसी 27 प्रतिशत आरक्षण केन्द्र सरकार केन्द्रीय सेवाओं में दिया गया. साथ ही राज्यों की स्थिति के आधार पर ओबीसी के लिए आरक्षण सुनिश्चित करने का अधिकार राज्य सरकार को दिया गया. लेकिन ओबीसी समुदाय को अविभाजित मध्यप्रदेश में मात्र 14 प्रतिशत आरक्षण शिक्षा एवं रोजगार में दिया गया, जो कि छत्तीसगढ़ में आज पर्यंत लागू है.

” बहुसंख्यक ओबीसी समुदाय को आबादी के अनुरूप आरक्षण नहीं मिला,जिसके कारण प्रदेश में ओबीसी समुदाय के समुचित विकास एवं उत्थान में नुकसान हुआ है.पिछली छत्तीसगढ़ सरकार ने 02 दिसम्बर 2022 को आरक्षण संशोधन विधेयक पारित किया था.जो राज्यपाल के हस्ताक्षर नहीं होने के कारण अटका है.इसलिए महामहिम से उस बिल पर जल्द से जल्द हस्ताक्षर करवाना चाहिए.”- भगवती सोनकर, जिलाध्यक्ष, पिछड़ा वर्ग महासभा

 

कवर्धा मामले पर मांगा न्याय : पिछड़ा वर्ग महासभा ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य के जिलों में ओबीसी समुदाय के लोगों के साथ आए दिन मारपीट प्रताड़ना, हत्या, शोषण की वारदात हो रही है. ओबीसी प्रोटेक्शन बिल पारित कर न्यायिक सुरक्षा प्रदान की जाए. हाल ही में कवर्धा जिले में प्रशांत कुमार साहू का पुलिस हिरासत में दर्दनाक जघन्य हत्या हुई है. मृतक प्रशांत कुमार साहू के परिवार समेत अन्य मृतक परिवार के एक सदस्य को शासकीय सेवा के साथ 2-2 करोड़ रूपए की क्षतिपूर्ति राशि देने की मांग की गई है.

Advertisements
Advertisement