हम कुछ नहीं कर सकते… चाय बागान मजदूरों की हड़ताल पर सीएम ममता की दो टूक

पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में चाय बागान श्रमिकों का प्रतिनिधित्व करने वाली ट्रेड यूनियन ने 12 घंटे की हड़ताल का ऐलान किया है. यूनियन ने नेशनल हाइवे पर चक्का जाम कर दिया है. ट्रेड यूनियन का कहना है कि सभी राजनीतिक दल उनकी इस हड़ताल का समर्थन कर रहे है. इसी बीच सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि वो हड़ताल का समर्थन नहीं करती है, हालांकि मांगो को लेकर सीएम ने कहा कि वो श्रम आयोग के साथ बैठक में इसकी चर्चा करेंगी. वो इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती. उन्होंने कहा कि श्रम आयोग उनके साथ बैठक कर रहा है.

ट्रेड यूनियन के सदस्यों का कहना है कि ये मुद्दा लंबे समय से बना हुआ है. इसका समाधान अभी तक नहीं निकाला गया है. उन्होंने कहा रविवार को श्रमिक भवन में चौथे दौर की बैठक हुई. इसमें कई राजनीतिक दलों ने ट्रेड यूनियन की हड़ताल का समर्थन किया है. इसीलिए 12 घंटे की हड़ताल का ऐलान किया गया है.

 

केंद्र ने सिर्फ छोटे चाय उत्पादकों पर दिया ध्यान

इससे पहले मार्च में सभी चाय उत्पादकों ने भी इसके लिए केंद्र की भूमिका पर निराशा जताई थी और भारत सरकार से उनकी दुर्दशा का समाधान करने के लिए भी मांग की थी. उत्पादकों ने कहा था कि दार्जिलिंग चाय संकट का सामना कर रही है. बागान मालिकों ने कहा कि हालांकि केंद्र ने छोटे चाय उत्पादकों के लिए कुछ काम किया है, जैसे फसल बीमा, चाय प्रोत्साहन और वित्तीय पैकेज, लेकिन पूरे उद्योग पर ध्यान नहीं दिया गया है.

चाय उद्योग से पांच लाख लोगों को मिल रहा रोजगार

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि चाय उद्योग पूरे उत्तर बंगाल में दार्जिलिंग की मुख्य आर्थिक रीढ़ है. भारत का कुल चाय उत्पादन हर साल लगभग 1400 मिलियन किलो का है, जिसमें से सिर्फ उत्तर बंगाल लगभग 250 मिलियन किलो चाय का योगदान देता है. उन्होंने आगे बताया कि इसके उत्पादन से पांच लाख से ज्यादा मजदूरों को रोजगार मिल रहा है. दार्जिलिंग , तराई और डुआर्स में लगभग 300 चाय बागान हैं. मजदूरों की ये भी मांग है कि उनकी दिहाड़ी को भी बढ़ाया जाए. इस समय सरकार के फैसेले के अनुसार मजदूरों को 250 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी मिलती है.

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