सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वैक्सीन से होने वाले दुष्प्रभावों से जुड़ी एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा इस तरह की याचिका से सिर्फ सनसनी फैलती है. अगर वैक्सीन का इजाद ही न हुआ होता तो क्या होता? चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जे. बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि जनहित याचिका सिर्फ सनसनी फैलाने के इरादे से दायर की गई है.
तीन जजों की इस बेंच ने कहा कि इस पर कार्रवाई के लिए मुकदमा दायर करें. इसका क्या उपयोग है? कृपया यह भी समझें कि अगर आप टीका नहीं लेते हैं तो इसका क्या दुष्प्रभाव होगा. हम इस मुद्दे पर सुनवाई नहीं करना चाहते, यह सिर्फ सनसनी पैदा करने के लिए है. प्रिया मिश्रा और अन्य याचिकाकर्ताओं ने यह याचिका दायर की थी, जिसमें ये आरोप लगाया गया था कि वैक्सीन के कारण खून में थक्का बनता है.
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— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
वहीं, वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर की गई याचिका में कोविशील्ड वैक्सीन से होने वाले साइड इफेक्ट की जांच की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट में दायर इस जनहित याचिका में यूके कोर्ट में ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका के कबूलनामे का जिक्र किया गया है. इस दौरान कंपनी ने पहली बार माना कि उनकी वैक्सीन से दुर्लभ मामलों में साइड इफेक्ट हो सकते हैं.
पूरी दुनिया में कोरोना ने बरपाया था कहर
साल 2020-21 में कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में कहर बरपाया था. लाखों लोगों की मौत हो गई थी. करोड़ों लोग इससे संक्रमित हो गए थे. भारत सरकार ने इसके बढ़ते प्रकोपों को देखते हुए वैक्सीन का इजाद किया था. भारत में बनी वैक्सीन को दुनिया भर के देशों में भी मदद के लिए भेजा गया. दावा किया गया कि वैक्सीन लगने के बाद मौतों की संख्या में गिरावट आई. मगर अब इसके दुष्प्रभाव की बात कही गई है.