केंद्र ने जाकिर नाइक की याचिका पर SC में जताई आपत्ति, कहा- वो भगोड़ा है तो अर्जी कैसे दाखिल की?

भारत से भगोड़ा घोषित और विवादित धर्म उपदेशक जाकिर नाइक की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई अगले बुधवार तक टली दी है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में महाराष्ट्र सरकार से हलफनामा दाखिल करने को भी कहा है.

अदालत में केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस आदमी (जाकिर नाइक) को भगोड़ा घोषित किया जा चुका है. इस याचिका पर जाकिर के साइन नहीं हैं. एक घोषित भगोड़ा कैसे याचिका दाखिल कर सकता है? ये याचिका स्वीकार ही नहीं की जानी चाहिए. मुझे बताया गया कि वे याचिका वापस ले रहे हैं… कोई भगोड़ा व्यक्ति एफआईआर को चुनौती देने वाली याचिका कैसे दायर कर सकता है?

जाकिर नाइक पर दर्ज हैं 6 मुकदमे

वहीं, अदालत में पेश हुए जाकिर नाइक के वकील ने कहा कि महाराष्ट्र में 4 और कर्नाटक में 2 एफआईआर हैं. हमें यह कहने के निर्देश हैं कि यदि यह अदालत एफआईआर को रद्द करने के लिए संबंधित हाईकोर्ट जाने इजाजत दे तो हम हाईकोर्ट जा सकते है.

ब्रीफिंग के वकील को नहीं मिले सही निर्देश

इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि ये याचिकाएं एफआईआर को क्लब करने के लिए हैं. यदि वे रद्दीकरण के लिए आवेदन करना चाहते हैं तो यह अलग बात है. एसजी का कहना है कि ब्रीफिंग वकील ने वरिष्ठ वकील को सही निर्देश नहीं दिए हैं. इस याचिका पर शुरुआती आपत्तियां हैं. रजिस्ट्री ने इस बात पर आपत्ति जताई है कि याचिका याचिकाकर्ता के हस्ताक्षर के बिना ही दाखिल की गई है. कोई भगोड़ा व्यक्ति अपने हस्ताक्षर के बिना याचिका कैसे दायर कर सकता है? यह मामला स्पष्ट हो जाए. जस्टिस ओका ने कहा कि हम देखेंगे, उन्हें अपने निर्देश साफ करने दीजिए. आप जवाबी हलफनामा दायर करें.

बता दें कि जाकिर नाइक के खिलाफ मामला 2013 का है. आरोप है कि उस समय जाकिर नाईक ने हिन्दू धर्म के देवी-देवताओं के खिलाफ आपत्तिजनक बयान दिया था. जाकिर के बयान पर देश के पांच राज्यों में मुकदमे दर्ज हुए थे. उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने जाकिर नाईक को अंतरिम राहत देते हुए उसके खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगा दी थी. इसके बाद साल 2016 में नाईक देश छोड़कर फरार हो गया.

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