स्मार्टफोन ने हमारी दुनिया बदलकर रख दी है। यह एक अकेला फोन कई गैजेट्स और लोगों का काम अकेले कर सकता है। चुटकियों में हर मुश्किल का हल, पढ़ाई, शॉपिंग, गेमिंग, दोस्ती, प्यार, ब्रेकअप तक सब काम एक स्मार्टफोन से हो जाते हैं।
इससे लोगों की आदतों में भी बदलाव आए हैं। जो पहले 3 घंटे लंबी फिल्में देखना पसंद करते थे, अब सोशल मीडिया में 30 सेकेंड की रील्स देख रहे हैं। मनोरंजन के लिए शॉर्ट स्टोरीज और ट्रेंडिंग वीडियो देखना तो कुछ हद तक ठीक भी है, लेकिन अब लोग इसे नॉलेज कंजम्प्शन का जरिया भी मानने लगे हैं।
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
कई लोग यूट्यूब शॉर्ट्स, इंस्टाग्राम और टिकटॉक पर सेहत का विज्ञान बता रहे हैं, डाइट और न्यूट्रीशन के बारे में जानकारी दे रहे हैं। आम लोग इसे सुन-समझकर जिंदगी में अप्लाय भी कर रहे हैं। लेकिन सनद रहे कि ये लोग सर्टिफाइड डॉक्टर्स, न्यूट्रीशनिस्ट या हेल्थ एक्सपर्ट नहीं हैं। इसे बनाने के लिए किसी हेल्थ स्टडी, रिसर्च, सर्वे या डेटा का सहारा नहीं लिया गया है।
हाल ही में आई ‘माय फिटनेस पैल’ और ‘डब्लिन सिटी यूनिवर्सिटी’ की एक जॉइंट स्टडी के मुताबिक 57% मिलेनियल और जेन-Z यूजर्स सोशल मीडिया रील्स में दी जा रही जानकारी को सच मानकर अपनी जिंदगी में अप्लाय कर रहे हैं। स्टडी में ये भी पता चला कि न्यूट्रीशन और डाइट के बारे में सिर्फ 2% वीडियोज में ही सही इंफॉर्मेशन दी गई है। यानी 98% लोग गलत जानकारी दे रहे हैं, जिसे हम आंख मूंदकर फॉलो किए जा रहे हैं।
सोशल मीडिया पर वायरल डाइट प्लान हो सकते हैं खतरनाक
सोशल मीडिया पर आए दिन खास डाइट प्लान वायरल होते रहते हैं। चूंकि दुनिया भर में सबसे ज्यादा लोग वजन को लेकर परेशान हैं तो इनमें वेट लॉस प्लान ज्यादा होते हैं।
फर्ज करिए कि आप वजन कम करना चाहते हैं तो दुनिया का हर वजन कम करने वाला व्यक्ति एक ही डाइट फॉलो नहीं कर सकता। यह उसकी उम्र, जेंडर, वर्क नेचर, हेल्थ कंडीशन आदि पर निर्भर करेगा कि वह कौन सी डाइट फॉलो करे। लेकिन सोशल मीडिया रील्स इतनी डीटेल में चीजें नहीं समझाते। और दूसरी बात कि समझाने वाले लोग उस विषय के एक्सपर्ट नहीं हैं।