राजस्थान के अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की लोकप्रिय दरगाह के शिव मंदिर होने का दावा किया जा रहा है. हिन्दू सेना द्वारा निचली अदालत में इसके लिए जांच की मांग करते हुए याचिका दाखिल की गई थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. इसी के साथ कोर्ट ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर सुनवाई की तारीख 20 दिसंबर तय की है.
इस पर अंजुमन कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती का बड़ा बयान आया है. उन्होंने निचली अदालत के याचिका स्वीकार करने के फैसले का विरोध किया और नाराजगी भी जताई है. इसी के साथ सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर सरवर चिश्ती ने कहा, “ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह सांप्रदायिक सद्भाव, विविधता और बहुलवाद का प्रतीक है. यह दरगाह अनेकता में एकता को बढ़ावा देती है. साथ ही, अफगानिस्तान से लेकर इंडोनेशिया तक इस्लाम का सबसे बड़ा मरकज है. इस दरगाह के करोड़ों-अरबों अनुयायी हैं. यह कोई रोज-रोज का तमाशा खड़ा करने वाली बात नहीं है.”
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
‘हमने बड़े दौर देखे हैं…’
कोर्ट के तीनों पक्षकारों को नोटिस जारी करने पर सरवर चिश्ती बोले, “अभी इन्होंने तीन पार्टी को नोटिस भेजा है, जिसकी तारीख 20 दिसंबर तय की गई है. एएसआई को नोटिस भेजा गया है, लेकिन यह दरगाह पुरातत्व विभाग के अंतर्गत नहीं आती बल्कि अल्पसंख्यक मंत्रालय के तहत आती है. अल्पसंख्यक मंत्रालय में दरगाह कमेटी आती है, इन तीनों को नोटिस भेजा गया है. हमने यहां के बड़े-बड़े दौर देखे हैं, लेकिन कभी कुछ नहीं हुआ.”
‘हर जगह दिखता है मंदिर’- सरवर चिश्ती
सरवर चिश्ती ने आगे कहा, “11 अक्टूबर 2007 को यहां बम ब्लास्ट हुआ था, जिसमें तीन लोग मारे गए थे. उससे दिल नहीं भरा तो अब शुरू कर दिया गया है. पिछले तीन साल से बयानबाजी चल रही है. हर जगह लोगों को शिवलिंग और मंदिर नजर आने लगा है.”
‘देशहित में नहीं है फैसला’
उन्होंने कहा, “सदियों पुरानी मस्जिदों पर ये लोग इस तरह की हरकतें कर रहे हैं, लेकिन ये चीजें देशहित में नहीं हैं. हम देख रहे हैं क्या करना चाहिए और वही करेंगे. इंशाअल्लाह किसी की मुरादें पुरी नहीं होंगी कि यहां कुछ हो जाए. ये गरीब नवाज़ की दरगाह थी, है और रहेगी.”