राजस्थान में सरकारी नौकरी के लिए होने वाली परीक्षाओं में परीक्षार्थियों की अनुपस्थिति बढ़ती ही जा रही है. इससे परीक्षा कराने वाली संस्थाएं चाहे राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड की परीक्षा हो या फिर राजस्थान लोक सेवा आयोग सभी की परेशानी बढ़ गई है.
राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से एक दिसंबर से 3 दिसम्बर तक पशु परिचर ( Animal Attendant Exam) परीक्षा का आयोजन किया गया, जिसमें 7 लाख से अधिक अभ्यर्थी अनुपस्थित रहे हैं. तीन दिनों तक दो पारियों में चलने वाली इस परीक्षा में 7 लाख 11 हजार 331 अभ्यर्थी अनुपस्थित रहे जो पूरी परीक्षा का चालीस प्रतिशत रहा है.
छह पारियों में हुई परीक्षा में अधिकतम उपस्थिति पहले दिन 64 फीसदी रही. यहां आख़िरी दिन अंतिम पारी में उपस्थित मात्र 51 फीसदी पर ही रह गई. इस परीक्षा में कुल उपस्थिति 59.67 फीसदी ही उपस्थित रही है. ये हाल तब है जब इसबार छात्रों की बड़ी संख्या को देखते हुए 27 जिलों में परीक्षा आयोजित कराने वाला राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड 33 जिलों में परीक्षाएं आयोजित की थी. कुल 1763897 परीक्षार्थियों ने फॉर्म भरा था जिसमें 1052566 परीक्षार्थी हीं परीक्षा देने आए बाकि 711331 अनुपस्थित रहे. बता दें कि ये वैकेंसीज 5934 पोस्ट के लिए थी.
क्या रही अनुपस्थिति की वजह
कांग्रेस सरकार के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य के सरकारी नौकरियों के लिए होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में वन स्टेट वन रजिस्ट्रेशन के तहत वन टाईम रजिस्ट्रेशन कराकर लाइफटाइम तक एग्ज़ाम के फॉर्म भरने के नियम बना दिए, जिसकी वजह से जो परीक्षा के प्रति गंभीर नहीं होते हैं वो भी फॉर्म भर देते है. परीक्षा आयोजित करने वाली संस्थाएं तो परीक्षार्थियों की संख्या के हिसाब से परीक्षा का इंतज़ाम करता है लेकिन संख्या कम होने से सरकार का पैसा बर्बाद हो रहा है.
ट्रांसपोर्ट विभाग भी इंतज़ाम करता है उसका भी नुक़सान होता है. फॉर्म भरने के बाद भी परीक्षा में उपस्थित नहीं रहने की वजह से राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड और राजस्थान लोक सेवा आयोग दोनों ही परीक्षा कराने वाली संस्थाओं ने राजस्थान सरकार से वन टाइम रजिस्ट्रेशन के नियम को ख़त्म करने के लिए लिखा भी है.