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वक्फ बोर्ड को लेकर जेपीसी की 500 पन्नों की रिपोर्ट तैयार, 11 दिसंबर को अगली बैठक

वक्फ संशोधन विधेयक पर गठित जेपीसी की 28वीं बैठक गुरुवार को संसद में हुई. बैठक में 887 पन्नों का कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट जेपीसी के सभी सदस्यों को दिया गया. इस रिपोर्ट में जेपीसी सदस्यों द्वारा अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधिकारियों से अब तक पूछे गए प्रश्नों का उत्तर दिया गया है. समिति सदस्यों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर कानून मंत्रालय और अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधिकारियों ने संयुक्त रूप से तैयार किया है.

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समिति के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक वक्फ संशोधन बिल के 44 संशोधनों पर संयुक्त संसदीय समिति ने अबतक 500 पन्नों की रिपोर्ट भी तैयार कर ली है. इस बात की संभावना है कि समिति की रिपोर्ट अंतिम स्वरूप लेते लेते कुछ पन्ने और जुड़ जाएं.

11 दिसंबर को होगी अगली बैठक

जेपीसी की अगली बैठक 11 दिसंबर को बुलाई गई है. 11 दिसंबर को होने वाली बैठक में धार्मिक संगठन दारुल उलूम देवबंद के सदस्यों को जेपीसी में बुलाया जाएगा. अबतक दारुल उलूम वक्फ पर बनी जेपीसी की बैठक में शामिल नहीं हुआ था. सूत्रों के मुताबिक कश्मीर के अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक भी जेपीसी के सामने आकर अपनी मंशा जाहिर करना चाहते हैं.

देश के कानून व्यवस्था पर पूरा भरोसा

उमर फारूक ने इस बाबत समिति के अध्यक्ष को पत्र लिखकर अपनी बात रखने का मौका देने की दरख्वास्त की है. समिति के सूत्रों का कहना है कि मीरवाइज उमर फारूक को बुलाने में टेक्निकल पॉइंट्स को समझा जा रहा है. लेकिन समिति के सदस्यों का मानना है कि मीरवाइज की समिति के सामने आने की गुजारिश करना इस बात का भी द्योतक है कि अब उन्हें इस देश के कानून और व्यवस्था पर पूरा भरोसा है.

शांतिपूर्ण माहौल में चर्चा

जब से जेपीसी का गठन हुआ है तब से पहली बार ऐसा हुआ जब लगभग 3 घंटे चली बैठक में समिति के सदस्यों ने शांतिपूर्ण और सौहार्द के माहौल में चर्चा किया और मंत्रालय के अधिकारियों से पूछताछ किया। इससे पहले की लगभग सभी 27 बैठकों में समिति के सदस्यों के बीच बहस और गर्मागर्मी का माहौल रहता था।

वक्फ बिल के औचित्य पर ही सवाल

हालांकि संयुक्त संसदीय समिति की बैठक में सत्ता पक्ष के कुछ सांसदों ने वक्फ बिल के औचित्य पर ही सवाल खड़े कर दिए. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे सहित दो सांसदों ने समिति के समक्ष कहा कि वक्फ बिल की जरूरत ही क्या है. इस देश में सबके लिए एक नागरिक कानून होना ही चाहिए. लेकिन इसके बावजूद विपक्षी दलों के सांसदों के तरफ से कोई नाराजगी व्यक्त नहीं की गई.

कई राज्यों के डिस्प्यूट का ब्यौरा मांगा

बीजेपी के सांसद जब वक्फ के औचित्य पर सवाल खड़े कर रहे थे तब असासुद्दीन ओवैसी समेत विपक्ष के तमाम फायर ब्रांड नेता मौजूद थे लेकिन किसी ने इसका मजबूती से विरोध नहीं किया. इस बीच संयुक्त संसदीय समिति ने वक्फ के साथ कई राज्यों के डिस्प्यूट के मामलों का ब्यौरा मांगा है. आने वाले दिनों में कुछ राज्यों के मुख्य सचिवों को समिति तलब कर सकती है.

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