भारतीय वायु सेना के पायलटों के लिए अब अमेरिका या अन्य यूरोपीय देशों से पैराशूट मंगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. कानपुर की ऑर्डनेंस पैराशूट फैक्ट्री (OPF) तेजस विमानों के पायलट के लिए सीट इजेक्शन पैराशूट बना रहा है. अभी भारतीय वायुसेना लड़ाकू विमानों के लिए विदेशों से सीट इजेक्शन पायलट पैराशूट खरीदती थी.
DRDO की इकाई एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (ADRDE) के इंजीनियरों ने इस पैराशूट का डिजान तैयार किया है. ताकि तेजस विमानों को उड़ाने वाले फाइटर पायलटों को आपात स्थिति में सुरक्षित जमीन पर लौटाया जा सके.
डिजाइन को मंजूरी मिलने के बाद रक्षा मंत्रालय के PSU ग्लाइडर्स इंडिया लिमिटेड की इकाई ओपीएफ कानपुर ने इस पैराशूट को बनाया. ओपीएफ इंजीनियर के अनुसार तेजस मार्क 1ए फाइटर जेट की अधिकतम गति 2205 km/hr से ज्यादा है. यह 50 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है.
फाइटर पायलट पैराशूट के लिए अलग वर्कशॉप
ऐसे में इमरजेंसी में पायलट को सुरक्षित उतारने के लिए सीट इजेक्शन पायलट पैराशूट बनाने की सेना ने मांग की है. इस पर काम शुरू हो गया है. फैक्ट्री के महाप्रबंधक एमसी बालासुब्रमण्यम और वर्क मैनेजर रूपेश कुमार ने इस पैराशूट को बनाने के लिए अलग से वर्कशॉप शुरू कर दिया है. इसमें 65 महिलाएं काम कर रही हैं.
कीमत में आधी, ताकत में अंतरराष्ट्रीय स्तर की
इस पैराशूट का कुल वजन 8 किलोग्राम होगा. लंबाई लगभग 12 मीटर. इस फैक्ट्री में निर्माण होने वाले पैराशूट की लागत विदेशों से आने वाले पैराशूट से लगभग आधी कम है. लेकिन ताकत अंतरराष्ट्रीय स्तर की होगी. इसकी कीमत करीब 8 लाख रुपए तक होगी. कानपुर में पैराशूट बनने से आत्मनिर्भर भारत का सपना भी पूरा होगा.
दो तरह के पैराशूट बना रही है कानपुर की फैक्ट्री
यहां पी7, जगुआर, मिराज, सुखोई, तेजस, मिग जैसे विमानों के पैराशूट बनाए जा रहे हैं. लड़ाकू विमानों में दो तरह की पैराशूट का इस्तेमाल होता है. एक पायलट पैराशूट और दूसरा ब्रेक पैराशूट. यहां लगभग सभी विमानों के दोनों ही तरह के पैराशूट बनाए जा रहे हैं.