झारखंड हाई कोर्ट ने 31 साल बाद हत्या के मामले में अपना फैसला सुनाया है. कोर्ट ने शुक्रवार को देवघर जिले में मात्र 200 रुपये के विवाद में हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए तीन दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने किशन पंडित, जमदार पंडित, लखन पंडित और लखी पंडित की ओर से दायर अपील पर सुनवाई करते हुए अदालत ने उन्हें 31 साल की मुकदमेबाजी के बाद मामले से मुक्त कर दिया है. हालांकि अपील के लंबित रहने के दौरान दोषी लखन पंडित की मौत भी हो गई थी.
जानकारी के मुताबिक मामला तीन दिसंबर 1993 का है. जसीडीह थाना क्षेत्र में 200 रुपये की मामूली रकम को लेकर विवाद हुआ था, जिसके बाद लखन ने महतो नाम के शख्स की हत्या कर दी.
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200 रुपये के लिए कर दी हत्या
पुलिस ने बताया कि लखन ने कृषि कार्यों के लिए नुनु लाल महतो से 200 रुपये उधार लिया था, लेकिन वह उचित समय नहीं चुका पाया. ऐसे में जब महतो ने कर्ज चुकाने के लिए उससे संपर्क किया तो दोनों के बीच बहस हो गई. बहस धीरे धीरे बढ़ती चली गई और लखन समेत आरोपियों ने हमला कर दिया, जिसकी वजह से मुहतो की मौत हो गई. पूरी घटना का नुनु लाल महतो का बेटा भैरव चश्मदीद था.
1997 में कोर्ट ने दोषी का दिया था करार
भैरव की गवाही के आधार पर पुलिस ने किशन पंडित, जमदार पंडित और लखी पंडित को पकड़ा. तीनों आरोपियों को को छह जून, 1997 को देवघर की सत्र अदालत ने दोषी करार दिया. इसके खिलाफ पटना हाई कोर्ट में अपील की गई, जिसने सभी आरोपियों को जमानत दे दी. हालांकि बाद में राज्य के विभाजन के बाद, 2000 में मामले को नवगठित झारखंड हाई कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया, जिसके बाद ये मामला अटका रहा और कोर्ट ने अब जाकर फैसला सुनाया है.