राजस्थान के बहुचर्चित फोन टैपिंग केस में पूर्व सीएम अशोक गहलोत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. अशोक गहलोत के पूर्व ओएसडी लोकेश शर्मा सरकारी गवाह बन गए हैं. एडवोकेट रोहन वाधवा ने लोकेश शर्मा की तरफ से पारडन अपील फाइल की थी, जिसे पटियाला हाउस कोर्ट ने मंजूर कर लिया है. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मुकदमा दर्ज कराया था.
मार्च 2021 में गजेंद्र सिंह शेखावत ने दिल्ली क्राइम ब्रांच में लोकेश शर्मा के खिलाफ फोन टैपिंग का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज करवाया था.पिछले साल अक्टूबर में क्राइम ब्रांच ने लोकेश शर्मा से पूछताछ की थी. इसके बाद शर्मा ने एक प्रेसवार्ता में अशोक गहलोत पर फोन टैपिंग के आरोप लगाए थे.
जब साल 2021 में फोन टैपिंग मामला सामने आया तोअशोक गहलोत ने सोशल मीडिया पर अपनी बात भी रखी. उन्होंने इस मामले को मुद्दा बनाए जाने को बीजेपी में वर्चस्व की लड़ाई बताया था. गहलोत ने कहा था कि इस आरोप के जरिए बीजेपी के नेता बेवजह सदन की कार्यवाही में रुकावट डालने की कोशिश कर रहे हैं.
गहलोत ने क्या कहा था
खुद पर लगे आरोपों को लेकर गहलोत ने कहा था कि वो इस मामले को विधानसभा में 14 अगस्त को अपना पक्ष रख चुके हैं. उन्होंने इसे फालतू में ही मुद्दा बनाए जाने की बात कही. गहलोत ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी साझा किया था, जिसमें वो 14 अगस्त को फोन टैपिंग मामले पर बयान दे रहे थे.
इस वीडियो में कहा था कि केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का नाम ऑडियो क्लिप में है. वो तो गृहमंत्री रह चुके हैं. वो उनसे क्यों पूछ रहे हैं कि टैपिंग लीगल है या इलीगल.गहलोत ने कहा था कि राज्य में इलीगल तरीके से फोन टैपिंग की परंपरा नहीं है. अधिकारी को अपनी नौकरी प्यारी हो तो वह कोई भी गैरकानूनी काम नहीं कर सकता. गहलोत ने ये भी कहा था कि जिन लोगों की फोन टैपिंग या सर्विलांस की जाती है, वो दायरे में रहकर की जाती है.