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LLB में एडमिशन के लिए शश‍िकुमार मोहता ने लड़ी 24 साल की कानूनी लड़ाई, अब 66 साल की उम्र में मिली जीत

साल 2000 में गुजरात यूनिवर्सिटी के डीटी लॉ कॉलेज में दाखिला लेने गए शशिकुमार मोहता को कॉलेज ने प्रवेश देने से इंकार कर दिया था. जिसके खिलाफ साल 2001 में उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इस मामले में 24 साल बाद कोर्ट ने कुछ शर्तों के आधार पर मोहतो को एलएलबी पढ़ने के लिए डीटी लॉ कॉलेज में अगले शैक्षणिक अवधि से प्रवेश की अनुमति दी है. कोर्ट ने कॉलेज के सारे नियमों के पालन के साथ तीन साल के एलएलबी अभ्यास क्रम में प्रवेश की अनुमति देते हुए मोहतो की अपील स्वीकारी है. साथ ही याचिकाकर्ता के कानूनी केस का सारा खर्च उठाने को भी कहा है.

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शशिकुमार मोहतो ने जुलाई 2007 में इस कॉलेज में तीन साल के अभ्यास के लिए आवेदन किया था पर आवेदन की फीस भरने के बाद भी उनको रिसीप्ट नहीं दी गई. कॉलेज की ओर से कोर्ट में कहा गया कि गुजरात यूनिवर्स‍िटी के नियमों के अनुसार प्रवेश लेने के लिए 3 साल के ग्रेजुएशन के साथ कुल 15 साल का अभ्यास होना चाहिए जिसमें 12 साल स्कूली शिक्षा के होते हैं पर अभ्यर्थी मोहतो के 14 साल ही होते थे. जिस वजह से उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया था.

याचिका कर्ता ने कोर्ट को बताया कि साल 1987-88 में उन्हें इन्हीं सर्टीफिकेट के साथ गुजरात यूनिवर्सिटी के नव गुजरात कॉलेज में दाखिला मिला था पर किन्हीं वजहों से वह वहां पर अभ्यास पूरा नहीं कर पाए. याचिकाकर्ता मोहतो साल 1980 तक कोलकाता में रहे थे और वहीं पर अभ्यास किया था. उस वक्त कोलकाता में 11 साल की स्कूली शिक्षा के बाद 3 साल का ग्रेजुएशन कोर्स होता था और मोहतो ने स्कूली शिक्षा के बाद 3 साल का बीकॉम का अभ्यास क्रम पूरा किया था. इसलिए उन्हें एलएलबी के लिए प्रवेश मिल सकता था. साल 1979 में वह गुजरात शिफ्ट हुए थे और तब से यहीं रहते हैं. कोर् टने प्रवेश की अनुमति देते हुए यह भी कहा कि सिर्फ 12+3= 15 साल के अभ्यास के नियम पर प्रवेश न देना गलत है.

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