चंदौली: डीडीयू नगर स्थित सामुदायिक स्वास्थ केंद भोगवार की पैथोलॉजी में गलत जांच रिपोर्ट देने का मामला सामने आया है, अस्पताल की लापरवाही से मरीज को मानसिक और आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ा. यह घटना सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े करती है.
काली महाल निवासी प्रमोद शर्मा ने बताया कि, उन्हें कई दिनों से कमजोरी महसूस हो रही थी. इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ केंद्र पर गए, जहां कुछ जांच कराने को कहा गया , जिसमें प्लेटलेट काउंट भी शामिल था. रिपोर्ट में प्लेटलेट काउंट मात्र 90,000 बताया गया, जिससे मरीज घबरा गया. चिंतित होकर उन्होंने तुरंत एक निजी लैब में दुबारा जांच कराई, जहां प्लेटलेट काउंट 1,58,000 निकला, जो पूरी तरह सामान्य था.
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— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025

जब मरीज ने इस लापरवाही की शिकायत अस्पताल प्रभारी से की, तो उन्होंने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि मशीन खराब होने की वजह से रिपोर्ट गलत आई होगी. सवाल यह उठता है कि यदि मशीन खराब थी, तो इसे ठीक क्यों नहीं कराया गया? और खराब मशीन से मरीजों की जांच कैसे की जा रही है?
एक ओर सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, तो दूसरी ओर अस्पतालों की यह लापरवाही मरीजों की जान के लिए खतरा बन रही है, गलत जांच रिपोर्ट से न केवल मरीजों की जान खतरे में पड़ सकती है, बल्कि यह मरीजों और उनके परिवारों को मानसिक और आर्थिक रूप से भी परेशान कर रही है.
इस पूरे मामले में सवाल यह है कि गलती किसकी है—मशीन की, उसे चलाने वाले टेक्नीशियन की, या फिर अस्पताल प्रशासन की? क्या अस्पताल की पैथोलॉजिस्ट नियमित रूप से मशीनों की जांच और उनकी कंडीशन का निरीक्षण नहीं करते? यह घटना साफ तौर पर पैथोलॉजी विभाग की लापरवाही को उजागर करती है.
मुख्य चिकित्सा अधिकारी से जब मामले को लेकर बात की किया तो उन्होंने बताया कि मशीन खराब हो सकती जल्द ही उसे देखवा लिया जाएगा. पर ऐसे में खराब मशीनों से मरीजों की जांच कराना गंभीर लापरवाही है, जिसकी जवाबदेही तय होनी चाहिए, मरीजों का भरोसा बहाल करने के लिए दोषी कर्मचारियों पर कार्रवाई की जानी चाहिए और अस्पताल में इस्तेमाल होने वाली सभी मशीनों की गुणवत्ता की जांच की जानी चाहिए.
यह घटना सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की खामियों की ओर इशारा करती है. जनता ने मांग की है कि मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. साथ ही अस्पताल में ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित की जाए, जिससे मरीजों को भविष्य में इस तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े.