भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने हाल में यूपीए 2 और मोदी सरकार के कार्यकाल में बैंकिंग सिस्टम पर चर्चा की. उन्होंने बताया कि यूपीए 2 की नीतियों की वजह से बैंकों के पास बैड लोन बढ़ गया था.
पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने 2013 में यूपीए 2 के शासनकाल में ही RBI के गवर्नर का पद संभाला था. उन्होंने बताया कि इसके इसके बाद उन्होंने बैंकों के बैड लोन को संभालने की कोशिश की, जिसमें 2014 में वित्त मंत्री बने अरुण जेटली ने काफी मदद की. इसके साथ ही पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कई और बातें कहीं, जिनके बारे में हम यहां विस्तार से बता रहे हैं.
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— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
यूपीए का नाम लिए बिना कही ये बात
राजन ने हाल ही में एक इंटरव्यू दिया है, जिसमें उन्होंने यूपीए का नाम लिए बिना कहा कि भारत में वैश्विक वित्तीय संकट के अलावा भ्रष्टाचार भी बड़ी समस्या थी. इन्हीं सब वजहों के चलते कई प्रोजेक्ट को मंजूरी मिलने में देरी हुई. इसके साथ ही उन्होंने कहां कि कई प्रोजेक्ट पर्यावरण की मंजूरी के चलते भी लेट हुए. अपने इंटरव्यू में उन्होंने आगे बताया कि इन सब चीजों का असर बैंक के लोन सिस्टम पर पड़ा और प्रोजेक्ट टाइम पर शुरू न होने की वजह से बैंक की रकम फंसी और बैड लोन बढ़ गए.
बैंक घूमते थे कारोबारियों के पीछे
राजन ने कहा कि 2008 में वैश्विक आर्थिक संकट से पहले बैंक खुलकर लोन बांटते थे और कारोबारियों के पीछे चेक बुक लेकर पूछते थे, तुम्हे कितना लोन चाहिए. उन्होंने बताया कि ऐसा इसलिए होता था, क्योंकि उस समय प्रोजेक्ट टाइम पर पूरे हो जाते थे और बैंक की रकम वापस आ जाती थी, लेकिन आर्थिक संकट ने स्थिति बदल दी.
मोरेटोरियम पॉलिसी ने बढ़ाए बैड लोन
RBI के पूर्व गवर्नर ने मोरेटोरियम पॉलिसी की खामियां गिनाते हुए कहा कि 2008 के आर्थिक संकट से पहले बैंक खुलकर पैसा बांट रहे थे. बिना जरूरी प्रक्रिया पूरी किए दिए गए इन कर्ज के बाद आर्थिक संकट ने हालात बदल दिए और इसे और बुरा सरकार की नीतियों ने कर दिया. राजन ने कहा, मुझसे पहले जो गवर्नर थे, उन्होंने बैंकों के बुरे कर्ज के लिए मोरेटोरियम (ऋण स्थगन) की शुरुआत की. इसके कारण बैंकों की रकम तो फंसी, लेकिन वे इस रकम को एनपीए में भी नहीं दिखा पा रहे थे. राजन ने कहा, पद संभालने के बाद मैंने मोरेटोरियम नीति खत्म कर दी.
जेटली ने की NPA कम करने में की मदद
आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने तब के वित्त मंत्री अरुण जेटली की तारीफ करते हुए कहा कि, बैंकों के NPA को कम करने में तब के वित्त मंत्री रहे अरुण जेटली ने बहुत मदद की. उन्होंने बताया कि उस समय सरकार ने बैंकों को बचाने के लिए जो फैसले लिए वे बहुत जरूरी थे.
उन्होंने बताया कि आरबीआई को एनपीए की पहचान करनी थी और सरकार को बैंकों में और पूंजी डालनी थी. मैंने इस बारे में तब के वित्त मंत्री अरुण जेटली को बताया तो उन्होंने कहा, जो जरूरी है वो कीजिए.