Zangi App से 20 सेकेंड में डिलीट हो जाता है डेटा, फिर कैसे पता लगा आतंकियों का ठिकाना?

पहले लॉरेंस बिश्नोई के शूटर और अब ये तीन आतंकी. इन सबका भांडा अर्मेनियाई जंगी ऐप ने फोड़ा है. दावा किया गया है कि आतंकी जंगी ऐप का इस्तेमाल मोबाइल से बात करने और मैसेज भेजने के लिए कर रहे थे. इस ऐप से भेजा गया मैसेज और डेटा 20 सेकेंड में खुद ही डिलीट हो जाता है. गैंगस्टर या आतंकी बातचीत के लिए सिम का यूज नहीं कर रहे. ये लोग बातचीत के लिए जंगी ऐप का ही सहारा क्यों ले रहे हैं. आखिर ये ऐप है क्या और कैसे काम करता है? इसके बारे में पूरी डिटेल्स यहां पढ़ें.

जंगी ऐप का नेटवर्क कैसे काम करता है?

जंगी ऐप का नेटवर्क अनट्रेसेबल है. इस ऐप के यूजर्स को ट्रैक करने और उनके ठिकानों का पता लगाना आसान नहीं होता. नॉर्मली पुलिस किसी भी आंतकी या गैंगस्टर को पकड़ने के लिए जिस पर शक होता है उसके मोबाइल या इंटरनेट नेटवर्क पर डिपेंड करती है. लेकिन जंगी ऐप को यूज करने के लिए किसी मोबाइल नंबर या ईमेल आईडी की जरूरत नहीं होती है.

ये अपना खुद का 10 अंक का नंबर जेनरेट करता है. इससे अपराधी अपना मोबाइल नंबर बताए बिना अपने साथियों से बातचीत कर सकता है. जिसे ये मैसेज पहुंचता है उसे स्क्रीन पर केवल जेनरेट किया गया नंबर ही दिखाई देता है.

जंगी ऐप का इस्तेमाल, ऐसे पता चली पीलीभीत की लोकेशन

यूपी के पीलीभीत के पूरनपुर इलाके में पंजाब और पीलीभीत पुलिस की कार्रवाई में तीन आतंकी मुठभेड़ में मारे गए. जो कि 18 दिसंबर की देर रात पंजाब में गुरदासपुर के कलानौर थाने की बख्शीवाल पुलिस चौकी पर हमला कर के फरार हो गए थे.

इन्हें करीब 800 किलोमीटर दूर आकर पीलीभीत के पूरनपुर इलाके में पकड़ा गया. इन्हें जंगी ऐप के जरिए पकड़ा गया. जंगी ऐप पर पुलिस को इनका एक वीडियो मिला. वीडियो के आधार पर पुलिस ने इनका पीछा किया. चौकी पर हमला करने के करीब 100 घंटों के अंदर पुलिस को इन्हें पकड़ने में कामयाबी मिली.

Advertisements
Advertisement