वाराणसी : बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के कुलपति प्रोफेसर सुधीर कुमार जैन पर भ्रष्टाचार, जातिगत भेदभाव, प्रशासनिक अनियमितताओं और मरीजों के उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगे हैं. बीएचयू हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. ओमशंकर ने विभाग के पूर्व प्रमुख और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों पर भी अनियमितताओं में संलिप्तता का आरोप लगाया है. इसके साथ ही इन आरोपों को लेकर एफआईआर दर्ज करने और जांच की मांग की गई है.
आरोपों के अनुसार, बीएचयू को सरकार द्वारा इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस (आईओई) योजना के तहत दिए गए ₹1,000 करोड़ के अनुदान का उपयोग अनियमितताओं से भरा रहा. कुलपति पर आरोप है कि उन्होंने विश्वविद्याल की मजबूत धरोहर इमारतों को तोड़कर पुनर्निर्माण में अनुदान का दुरुपयोग किया. साथ ही, सलाहकार पदों पर मनमाने ढंग से नियुक्तियां कर अपने करीबी सहयोगियों को लाभ पहुंचाया गया.
चिकित्सा उपकरणों की खरीद में भी अनियमितताएं सामने आई हैं. कुलपति और अन्य अधिकारियों पर ₹2.56 करोड़ की खरीद में लगभग ₹1 करोड़ की गड़बड़ी का आरोप है. इन आरोपों की पुष्टि के लिए “फैक्ट फाइंडिंग कमेटी” ने भी रिपोर्ट दी है.
आयुष्मान भारत योजना में भ्रष्टाचार के आरोप
डॉ. ओमशंकर ने आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीजों से अनावश्यक शुल्क वसूले जाने के भी आरोप लगाए हैं. काया कल्प योजना में आवंटित धनराशि का गबन करने के दावे भी सामने आए हैं. आरोप है कि गरीब मरीजों से अतिरिक्त शुल्क लेकर आर्थिक शोषण किया गया.
जातिगत भेदभाव और आरक्षण नीति का उल्लंघन
कुलपति पर आरोप है कि उन्होंने विश्वविद्यालय में आरक्षण नीति का पालन नहीं किया. एससी, एसटी और ओबीसी श्रेणी के सैकड़ों योग्य उम्मीदवारों को नियुक्ति प्रक्रिया से बाहर रखा गया. कार्डियोलॉजी विभाग में भी योग्य उम्मीदवारों को मनमाने ढंग से अस्वीकृत कर दिया गया.
पूर्व विभागाध्यक्ष का यह भी आरोप है कि उन्हें 55 दिन पहले उनके पद से हटा दिया गया, ताकि जातिगत भेदभाव और पक्षपातपूर्ण नियुक्तियों को अंजाम दिया जा सके.
आपातकालीन शक्तियों का दुरुपयोग और अवैध नियुक्तियां
आरोप है कि प्रोफेसर सुधीर कुमार जैन ने विश्वविद्यालय की आपातकालीन शक्तियों का दुरुपयोग कर नियमों का उल्लंघन किया. उन्होंने अपने करीबी सहयोगियों की नियुक्ति और पदोन्नति में पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया.
यह भी दावा किया गया है कि बिना वैधानिक प्रक्रियाओं का पालन किए अवैध नियुक्तियां की गईं. गर्मी की छुट्टियों और आदर्श आचार संहिता के दौरान मनगढ़ंत आपात स्थितियों का हवाला देकर नियुक्तियां की गईं.
मरीजों के शोषण और चिकित्सा लापरवाही के आरोप
कुलपति और अन्य अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने मरीजों के साथ लापरवाही की. कार्डियोलॉजी विभाग में मरीजों पर अनावश्यक प्रक्रियाएं की गईं और उनका आर्थिक शोषण हुआ. आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों को योजना के तहत दी गई सुविधाओं से वंचित रखा गया.
इसके अतिरिक्त, खाली बिस्तर होने के बावजूद जरूरतमंद हृदय रोगियों को भर्ती से इनकार करने और उनके जीवन को जोखिम में डालने के गंभीर आरोप लगे हैं. आरोप है कि इस लापरवाही के कारण कई मरीजों की मृत्यु हो गई.
पर्यावरण और धरोहर का विनाश
कुलपति पर विश्वविद्यालय परिसर में सदियों पुराने वृक्षों को काटने और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के आरोप हैं. राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने इस मामले की जांच शुरू की है और कुलपति के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है.
भ्रष्टाचार उजागर करने वालों का उत्पीड़न
पूर्व विभागाध्यक्ष ने आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने के कारण उन्हें विभागीय पद से हटा दिया गया. साथ ही, उनके खिलाफ पक्षपातपूर्ण जांच शुरू की गई. यह जांच उनके द्वारा उजागर किए गए भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के “प्रतिशोध” स्वरूप की गई.
जांच और कार्रवाई की मांग
इन गंभीर आरोपों के बीच प्रोफेसर डॉ. ओम शंकर ने पुलिस और प्रशासन से निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है. उन्होंने कहा कि बीएचयू की अखंडता और छात्रों, शिक्षकों व मरीजों के हितों की रक्षा के लिए यह जरूरी है.
डॉ. ओम शंकर ने कुलपति और अन्य अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने, वित्तीय गबन और प्रशासनिक अनियमितताओं की जांच कराने और उनके खिलाफ सुरक्षा सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा कि वह अपने दावों के समर्थन में दस्तावेजी साक्ष्य और गवाह प्रस्तुत करने को तैयार हैं.
बीएचयू की छवि पर असर
इन आरोपों ने बीएचयू की प्रतिष्ठा पर गंभीर प्रभाव डाला है. विश्वविद्यालय जो शैक्षणिक उत्कृष्टता और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है, वह इन विवादों के कारण चर्चा में है. विश्वविद्यालय के छात्रों और कर्मचारियों ने भी इन मुद्दों पर चिंता व्यक्त की है.