ईरान की राजधानी तेहरान की सिटी काउंसिल के सदस्यों ने इजराइली हमले में मारे गए हमास नेता याह्या सिनवार के नाम पर बिसोटून स्ट्रीट का नाम बदलने के लिए मतदान किया था. बिसोटून पश्चिमी ईरान में एक पहाड़ का नाम है, जहां इस्लाम धर्म से पहले के प्राचीन शिलालेख हैं.
हालांकि ईरान में लोगों की कड़ी प्रतिक्रिया के बाद, सिटी काउंसिल के प्रिसाइडिंग बोर्ड के एक सदस्य ने घोषणा की कि सड़क का नाम फिलहाल नहीं बदला जाएगा. ईरान की स्टेट मीडिया एजेंसी IRNA ने बताया कि बिसोटुन स्ट्रीट के नाम बदलने के फैसले को फिलहाल निलंबित कर दिया गया है.
नहीं बदला जाएगा बिसोटुन स्ट्रीट का नाम
तेहरान सिटी काउंसिल के प्रवक्ता अली रेजा नदाली ने इस बात पर जोर दिया कि सड़क के नाम बदलने के फैसलों पर सावधानीपूर्वक विचार करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि अभी के लिए बिसोटुन स्ट्रीट अपने ऐतिहासिक नाम को बरकरार रखेगी.
माउंट बिसोटुन का ऐतिहासिक महत्व
नदाली ने इस उलटफेर का श्रेय माउंट बिसोटुन के ऐतिहासिक महत्व को संरक्षित करने को दिया, जो ईरान के प्राचीन इतिहास और साहित्य में व्यापक रूप से संदर्भित एक मील का पत्थर है. इस साइट में अचमेनिद साम्राज्य के राजा डेरियस I के शिलालेख हैं, जो लगभग 520 ईसा पूर्व के हैं, जो उनकी जीत और उनके शासन को मजबूत करने का स्मरण करते हैं.
शीरीं-फरहाद की प्रेम कहानी से कनेक्शन
माउंट बिसोटून जाग्रोस पर्वत श्रृंखला का एक पर्वत है, जो पश्चिमी ईरान के केरमानशाह प्रांत में स्थित है. यह तेहरान से 525 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है. यह फारसी कवि नेजामी की कविताओं में फरहाद और शिरीन की प्रेम कहानी का आधार भी है. उनकी कविता के अनुसार, फरहाद को बिसोटून पर्वत पर चट्टान काटकर सीढ़ियां बनाने का काम सौंपा जाता है. बाद में जब फरहाद को शीरीं की मौत की झूठी खबर मिलती है तो वह इसी पर्वत की चोटियों से कूदकर जान दे देता है.