सूर्य को ‘छूने’ की कोशिश क्यों कर रहा नासा, पार्कर मिशन से क्या होगा फायदा?

नासा के पार्कर सोलर प्रोब ने 24 दिसंबर को सूर्य के सबसे करीब पहुंचकर इतिहास रच दिया. क्रिसमस से पहले पार्कर सूर्य से महज 61 लाख किलोमीटर की दूरी से गुज़रा, अब तक कोई भी अंतरिक्ष यान सूर्य के इतने करीब नहीं पहुंच सका है. हालांकि इस दौरान नासा की बेचैनी बढ़ गई क्योंकि इस स्पेसक्राफ्ट से वैज्ञानिकों का संपर्क नहीं हो पा रहा था.

लेकिन गुरुवार को आधी रात से ठीक पहले वैज्ञानिकों को पार्कर सोलर प्रोब से एक संकेत मिला है, यानी नासा का यह यान सूर्य के सबसे करीब तक पहुंचने में कामयाब रहा. नासा ने बताया है कि जांच सुरक्षित थी और सौर सतह से केवल 61 लाख किलोमीटर की दूरी से गुजरने के बाद भी स्पेसक्राफ्ट सामान्य तौर पर काम कर रहा है.

क्यों खास है पार्कर सोलर प्रोब की यह उपलब्धि?

हालांकि कुछ लोगों को लगेगा कि 61 लाख किलोमीटर की दूरी तो काफी ज्यादा होती है लेकिन नासा के वैज्ञानिक डॉ. निकोला फॉक्स ने इसे इस तरह से समझाया है कि अगर मान लें कि हमारी पृथ्वी और सूर्य के बीच 1 मीटर की दूरी है तो पार्कर इससे महज़ 4 सेंटीमीटर की दूरी तक पहुंचा है, जो कि काफी बड़ी उपलब्धि है.

सूर्य के इतने करीब जाकर क्या हासिल करेगा पार्कर?

दरअसल वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि जैसे ही अंतरिक्ष यान हमारे तारे (सूर्य) के बाहरी वायुमंडल यानी उसके कोरोना से गुजरेगा, तो उसने ऐसा डेटा जुटा लिया होगा जो लंबे समय से चले आ रहे रहस्यों को सुलझा सकते हैं.

वैज्ञानिकों का कहना है कि सूर्य का कोरोना वास्तव में बहुत ज्यादा गर्म है और हमें नहीं पता कि ऐसा क्यों है. सूर्य की सतह का तापमान लगभग 6 हजार डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक है, लेकिन सोलर कोरोना का तापमान लाखों डिग्री तक पहुंच जाता है, जबकि यह सूर्य से दूर है. वैज्ञानिक जानना चाहते हैं कि ऐसा क्या है जिसके चलते सूर्य के इस बाहरी वातावरण यानी सोलर कोरोना का तापमान इतना अधिक हो जाता है?

सोलर हवा, अंतरिक्ष मौसम की भी मिलेगी जानकारी

इस मिशन से वैज्ञानिकों को कोरोना से निकलने वाले चार्ज्ड पार्टिकल्स के बहाव यानी सोलर हवाओं को भी बेहतर ढंग से समझने में भी मदद मिलेगी. जब ये कण पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के संपर्क में आते हैं तो आसमान चमकदार ऑरोरा से जगमगा उठता है, लेकिन यह मौसम संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है, जिससे बिजली ग्रिड, इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन सिस्टम ठप हो सकते हैं.

वैज्ञानिकों का मानना है कि सूर्य, उसकी गतिविधि, अंतरिक्ष मौसम, सौर हवा को समझना पृथ्वी पर मानव जीवन के लिए बहुत जरूरी है और नासा का पार्कर सोलर प्रोब इसके अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण डाटा मुहैया कराने की क्षमता रखता है.

Advertisements
Advertisement