यूनियन कार्बाइड कारखाने का 337 टन जहरीला कचरा बुधवार रात नौ बजे 12 कंटेनरों में भरकर धार जिले के पीथमपुर के लिए रवाना कर दिया गया। इसके लिए 250 किलोमीटर का ग्रीन कारीडोर बनाया गया, जिसमें जगह-जगह पुलिस तैनात रही। इसमें भोपाल, सीहोर, देवास, इंदौर होते हुए यह कंटेनर गुरुवार तड़के पीथमपुर स्थित रामकी कंपनी पहुंचने हैं। कंटेनरों के साथ एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड आदि टीमों के वाहन भी रवाना हुए हैं। इस तरह करीब 18 वाहन शामिल हैं। इस कचरे को कंटेनरों में लोडिंग के काम में डेढ़ सौ मजदूरों ने 15 शिफ्ट में काम करके कचरे को कंटेनरों में अपलोड कराया है।
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- मजदूरों की पीपीई किट, शूज, पानी की डिस्पोजल, बोलतें और अन्य सामान को भी अलग से जंबो बैग में लोड कर दिया गया है। यहां से रवाना हुआ कारकेट सीधा पीथमपुर में रुकेगा।
- इसके बाद कचरे को वैज्ञानिक तरीके से डिस्पोज किया जाएगा। मंगलवार को ही कचरा पैकिंग का काम पूरा कर लिया गया था। इसके बाद जेसीबी की मदद से कंटेनरों में जंबो बैग्स को लोड किया गया।
- कचरा भरने के बाद कंटेनरों को एयर टाइट पैक किया गया है ताकि कचरा हवा के संपर्क में न आए। हालांकि मंगलवार से ही कंटेनरों को ले जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी।
- मंगलवार को 31 दिसंबर होने की वजह से कचरे को नहीं ले जाया जा सका। जिसके बाद बुधवार रात नौ बजे कंटेनरों को रवाना किया गया।
- एक कंटेनर में एवरेज 30 टन कचरा भरा गया है। यह कचरा फेक्ट्री के अंदर रखा था, जिसे खास जंबो बैग में पैक किया गया है। ये एचडीपीई नान रिएक्टिव लाइनर के बने हैं।
- इनमें मटेरियल में कई रिएक्शन नहीं हो सकता। 12 कंटेनर में पांच अलग-अलग तरह का कचरा यूका परिसर में बिखरे हुए कचरे को इकट्ठा करने के साथ उस समय परिसर की मिट्टी को भी इकट्ठा किया गया।
- यूका में बनने वाले कीटनाशक के लिए एक रिएक्टर था। रिएक्टर में बचे केमिकल को भी एकत्रित किया गया है।
- यूका जिस कीटनाशक का उत्पादन करता था। उसका नाम सीवन था। यह बचा हुआ कीटनाशक भी कचरे में मौजूद है।
- जिस एमआईसी गैस के प्लांट से रिसाव हुआ था, वह नेफ्थाल से बनाई जाती थी। परिसर में बड़ी मात्रा में यह नेफ्थाल भी था।
- कीटनाशक बनाने की प्रक्रिया रुकने के कारण प्रोसेस के बीच में बचा हुआ केमिकल भी कचरे के साथ ले जाया गया है। पीथमपुर के लिए यह रास्ता पकड़ा हर कंटेनर का एक यूनिक नंबर बनाया गया है।
- ये ट्रक कंटेनर जिस रूट से निकले उसकी सूचना जिला प्रशासन और पुलिस को दी गई। ट्रैफिक रोकने की जिम्मेदारी भोपाल और इंदौर के पुलिस कमिश्नर को सौंपी गई थी।
- करोंद मंडी होते हुए बेस्ट प्राइज तिराहा, करोंद चौराहा, गांधी नगर, मुबारकपुर, सीहोर नाका होते हुए इंदौर भेजे गए।
- यह रूट इसलिए चुना गया है, क्योंकि रात के समय इस रूट पर ट्रैफिक का दबाव कम रहता है। 50 किमी प्रति घंटे की स्पीड से चले कचरा ले जाने वाले विशेष कंटेनर लगभग 50 किमी प्रति घंटा की स्पीड तय की गई थी।
- एक कंटेनर में दो-दो ड्राइवर को रखा गया था। इसके अलावा कंटेनर्स के साथ पुलिस सुरक्षा बल, एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड और क्विक रिस्पांस टीम भी थी।
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