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ED की छापेमारी और समन… शराब घोटाले की जांच में उलझे छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री कवासी लखमा

छत्तीसगढ़ की राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाले कवासी लखमा शराब घोटाले को लेकर मुश्किलों में घिरते नजर आ रहे हैं. हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जुटाए गए सबूतों के आधार पर उनके खिलाफ कई अहम आरोप सामने आए हैं.

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ईडी ने प्रेस बयान जारी कर कहा है कि लखमा को शराब घोटाले के तहत नकदी मिली है, जो उनकी संभावित संलिप्तता को दर्शाता है. पूर्व मंत्री 3 जनवरी को ईडी के समक्ष पेश भी होंगे.

पिछले महीने जब ईडी ने लखमा और उनके करीबी सहयोगियों के ठिकानों पर व्यापक छापेमारी की, तो विवाद और बढ़ गया.  रायपुर, सुकमा और धमतरी में छापेमारी की गई, जिसमें न केवल राजनीतिक नेताओं बल्कि घोटाले से जुड़े ठेकेदारों को भी निशाना बनाया गया. इन छापों के दौरान ईडी ने कथित तौर पर कई डिजिटल डिवाइस जब्त कीं, जिनमें लखमा के खिलाफ मामले को मजबूत करने वाले महत्वपूर्ण सबूत हो सकते हैं.

हाल ही में एक अपडेट में, ईडी ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, एक्स का उपयोग यह घोषणा करने के लिए किया कि उसने 28 दिसंबर, 2024 को छत्तीसगढ़ में सात स्थानों पर एक रणनीतिक तलाशी अभियान चलाया था. यह तलाशी धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के दिशा-निर्देशों के तहत की गई थी.

कहा जाता है कि इस अभियान से घोटाले की अवधि के दौरान लखमा द्वारा नकद लेनदेन में अपराध की आय (पीओसी) के उपयोग के संबंध में पर्याप्त सबूत मिले हैं. ईडी द्वारा समन जारी करने के बावजूद, न तो लखमा और न ही उनके बेटे हरीश पूछताछ के लिए उपस्थित हुए, जिससे एजेंसी को दूसरा समन जारी करना पड़ा.

ऐसी अटकलें हैं कि पूछताछ के बाद लखमा की कहानी स्पष्ट हो सकती है. स्थिति को और जटिल बनाते हुए, लखमा ने पहले दावा किया है कि उनकी निरक्षरता का अधिकारियों ने फायदा उठाया, जिससे उन्हें बिना समझे दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर होना पड़ा. हालांकि, उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से बयान दिया है कि “मैं एक अनपढ़ व्यक्ति हूं और मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है. मैं ईडी अधिकारियों के साथ पूरा सहयोग करूंगा और उनके सवालों का जवाब दूंगा.”

लखमा एक बहुत ही लोकप्रिय वरिष्ठ कांग्रेस नेता हैं जो सुकमा जिले के सबसे अधिक नक्सल प्रभावित कोंटा विधानसभा सीट से सात बार विधायक रह चुके हैं. वे भूपेश बघेल के शासनकाल में आबकारी मंत्री भी रह चुके हैं. उनके बेटे हरीश लखमा अपने जिले के पंचायत अध्यक्ष बताए जाते हैं. सामने आ रही परिस्थितियों से पता चलता है कि जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, कवासी लखमा पर कानूनी जांच तेज होगी, जिसका उनके राजनीतिक करियर और व्यक्तिगत प्रतिष्ठा पर भी असर पड़ सकता है.

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