देश में अपराध पर लगाम लगाने के लिए पुलिस नए-नए प्रयोग करती रहती है. पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ाने से लेकर तकनीक की मदद से क्राइम कंट्रोल करने की कोशिश की जाती है. साथ ही सीबीआई जैसी सेंट्रल एजेंसियां भी राष्ट्रीय सुरक्षा और बड़े अपराधों पर कार्रवाई करती हैं. लेकिन देश में अपराध कर विदेश भागने वाले अपराधियों को वापस लाकर सजा दिलवाना आज भी सुरक्षा एजेंसियों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. इसके लिए भारतीय एजेंसियां इंटरपोल समेत अन्य विदेशी सुरक्षा एजेंसियों की मदद लेती हैं.
भारतपोल क्यों बना
अब देश से फरार अपराधी और भगोड़ों की वापसी के लिए केंद्र सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है. गृह मंत्रालय इंटरपोल की तर्ज पर देश में ‘भारतपोल’ की शुरुआत करने जा रहा है. ये पोर्टल सीबीआई के तहत काम करेगा लेकिन इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि राज्यों की पुलिस किसी वांछित अपराधी या भगोड़े की जानकारी के लिए सीधे इंटरपोल की सहायता ले सकती है. साइबर अपराध, वित्तीय अपराध, संगठित अपराध, मानव तस्करी जैसे इंटरनेशनल क्राइम के मामलों में इस पोर्टल के जरिए जांच में तेजी आएगी और रियल टाइम जानकारी जुटाने में मदद मिलेगी.
आमतौर पर ऐसा देखा गया है कि देश में अपराध कर विदेश भागने वाले अपराधियों के खिलाफ नोटिस जारी करने में काफी वक्त लग जाता है. लेकिन अब सीबीआई ने ‘भारतपोल’ के नाम से एक हाईटेक पोर्टल बनाया है जिसमें न सिर्फ एनआईए-ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसी बल्कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस एक साथ मंच साझा करेंगी. इस पोर्टल की शुरुआत गृहमंत्री अमित शाह मंगलवार को करने जा रहे हैं. इसका पहले ही सफल ट्रायल किया जा चुका है.
कैसे काम करेगा भारतपोल
इस पोर्टल की खास बात ये कि अब राज्यों की पुलिस को किसी अपराधी के बारे में जानकारी जुटाने के लिए सीधे इंटरपोल को रिक्वेस्ट भेज सकती है. अगर इंटरपोल उसे स्वीकार करता है तो जानकारी राज्यों की पुलिस डायरेक्ट मुहैया कराई जा सकती है. इसका मकसद इंटरपोल के साथ भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के तालमेल को आसान और गतिशील बनाना है.
किसी भगोड़े अपराधी को नोटिस जारी करने के लिए भी फिलहाल राज्यों को पहले सीबीआई से अनुरोध करना पड़ा है और वह इसे आगे बढ़ाकर इंटरपोल को भेजती है. इसके बाद इंटरपोल जो भी जानकारी या सूचना भेजता है उसे सीबीआई को राज्य पुलिस तक मेल का लेटर के जरिए पहुंचाना होता है. यह काफी जटिल प्रक्रिया है जो समय लेती है. इसी को आसान बनाने के लिए ये पोर्टल तैयार किया गया है.
‘भारतपोल’ के सुचारू होने के बाद भी नोटिस जारी करने का अधिकार इंटरपोल के पास ही रहेगा. भारत की तरफ से सीबीआई सीधे तौर पर इंटरपोल से कनेक्ट है. अब पोर्टल के माध्यम से अगर किसी राज्य पुलिस की रिक्वेस्ट को इंटरपोल स्वीकार करती है तो वह उस अपराधी के खिलाफ रेड कॉर्नर या अन्य तरह के नोटिस जारी कर सकती है. साथ ही उसकी लोकेशन समेत अन्य जानकारी सीधे राज्यों के साथ शेयर कर सकती है.
कैसे काम करती है इंटरपोल
इंटरपोल को आसान भाषा में इंटरनेशनल पुलिस कह सकते हैं जिसकी फुल फॉर्म ‘इंटरनेशनल क्रिमिनल पुलिस ऑर्गेनाइजेशन’ है. ये संगठन सदस्य देशों की सुरक्षा एजेंसियों के बीच आपराधिक मामलों में मदद और कॉर्डिनेशन को आसान बनाता है. इसका मकसद अंतरराष्ट्रीय अपराधों पर लगाम लगाना और जांच में मदद करना है. इसका गठन साल 1923 में किया गया जिसका हेडक्वार्टर फ्रांस के ल्योन में मौजूद है. इंटरपोल में फिलहाल 196 सदस्य देश शामिल हैं, जो इसे संयुक्त राष्ट्र के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा संगठन बनाता है. भारत साल 1949 से इसका सदस्य है.