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हॉस्टल में प्रसव मामले में अधीक्षिका सस्पेंड, उठे कई गंभीर सवाल

कोरबा : कोरबा के कन्या छात्रावास की अधीक्षिका जय कुमारी रात्रे को निलंबित कर दिया गया है. हॉस्टल में 17 साल की नाबालिग छात्रा के नवजात को जन्म देने के मामले में ये कार्रवाई की गई है. कलेक्टर ने पूरे मामले की जांच के लिए स्वास्थ्य और महिला बाल विकास विभाग को निर्देशित किया है. जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.

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सोमवार की रात हॉस्टल में नवजात का जन्म : छात्रावास में रहकर 11वीं कक्षा में पढ़ने वाली एक नाबालिग छात्रा प्रेग्नेंट हो गई. सोमवार रात करीब 2 बजे नाबालिग छात्रा का हॉस्टल में ही प्रसव हुआ और रात में ही नवजात जीवित बच्चे को हॉस्टल के पीछे फेंक दिया गया. अब तक की जानकारी के अनुसार नाबालिग छात्रा ने ही बात छिपाने के लिए ऐसा किया था.

हॉस्टल अधीक्षिका की सफाई : इस पूरे मामले में छात्रावास अधीक्षिका ने बताया कि सोमवार सुबह करीब 8 बजे छात्रा की तबीयत बिगड़ने की जानकारी हुई तो उससे पूछा गया, उसने दस्त की शिकायत बताया लेकिन लक्षण लगे नहीं. माहवारी सम्बन्धी बात पूछने पर होना बताया, तब उसे अस्पताल चलने के लिए कहा गया. इस बीच हॉस्टल परिसर से बच्चे के रोने की आवाज आने पर स्टाफ ने तलाश किया, तो परिसर में टॉयलेट के पीछे नवजात शिशु मिला. अस्पताल ले जाने पर पता चला कि छात्रा का प्रसव हुआ है.इस मामले में हॉस्टल की अधिक्षिका को सस्पेंड कर दिया गया है.

हॉस्टल में नवजात की डिलीवरी मामले के संज्ञान में आने के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग एवं स्वास्थ्य विभाग को जांच के लिए निर्देशित किया गया है.इसके साथ ही कार्य में लापरवाही पाए जाने पर हॉस्टल की अधीक्षिका को फिलहाल निलंबित कर दिया गया है. आगे जिस तरह की जानकारी सामने आएगी, उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी – अजीत वसंत, कलेक्टर

नवजात की हालत अब भी बनी हुई है नाजुक : हॉस्टल में पैदा हुई नवजात बच्ची का इलाज मेडिकल कॉलेज अस्पताल में चल रहा है. उसे एसएनसीयू वार्ड में ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है. जिसकी हालत अभी नाजुक बनी हुई है. क्योंकि बच्ची को खिड़की के बाहर फेंका गया था. काफी देर खुले वातावरण में रहने से ठंड के कारण उसका शरीर ठंडा पड़ गया था. शरीर पर खरोच के भी निशान हैं. जिसके कारण उसकी स्थिति नाजुक बनी हुई है. शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ राकेश वर्मा ने कहा कि बच्ची की हालत अभी गंभीर है. 5 से 7 दिन तक उसे ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखना पड़ेगा. इसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है.

किसी को भनक तक नहीं : इस घटना के बाद हॉस्टल और प्रशासन की लापरवाही की कलई भी खुल चुकी है. ट्राइबल जिला होने के कारण छात्रावास में ज्यादातर बच्चे आदिवासी इलाके से ही आते हैं. नियमों के अनुसार नियमित अंतरालों पर हॉस्टल में रहने वाले बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण होना चाहिए. अधीक्षिका को हॉस्टल में ही निवासरत रहना चाहिए, बाहर के किसी व्यक्ति का हॉस्टल में जाना प्रतिबंधित है. लेकिन इस मामले के संज्ञान में आने के बाद बड़ी लापरवाही उजागर हुई है. स्कूल में पढ़ने वाली और हॉस्टल में रहने वाली छात्रा प्रेग्नेंट हो जाती है. वो हॉस्टल में ही बच्चे को जन्म दे देती है और इसके बाद अधीक्षिका को इस बात की जानकारी हुई. नाबालिग प्रेग्नेंट कैसे हुई? पैदा होने वाले नवजात का पिता कौन है? इस तरह के कई सवाल उठ रहे हैं. जिनका जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है.

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