कैंसर का उपचार कराने में मेरी पूरी जमा पूंजी खत्म हो गयी घर बेचने तक की नौबत आ गयी, ऐसे में जिला अस्पताल का दीर्घायु वार्ड मेरे लिए संकटमोचक बना जहां मुझे निःशुल्क उपचार के साथ दवाइयां भी मिल रहीं हैं. ये कहना है राजापारा निवासी 60 वर्षीय रामप्यारे राम का. राम प्यारे शासकीय मॉडल स्कूल में भृत्य के पद पर कार्यरत हैं. कई सालों से उनके पेट में दर्द एवं जलन की शिकायत थी. शुरुआत में जब राम प्यारे ने अम्बिकापुर में निजी अस्पताल में जांच कराई तो पेट में अल्सर होने की बात कह कर चिकित्सकों ने ईलाज प्रारम्भ किया. दो साल तक उपचार होने के बाद आराम ना मिलने पर उन्होंने रायपुर के निजी अस्पताल में अपने इलाज कराया. जांच में पता चला कि उन्हें अमाशय का कैंसर है. वहां से दूसरे निजी अस्पताल रेफर किया गया. जहां उनका एक साल तक उपचार चला. इस इलाज में उनकी घर की सारी जमा पूंजी खत्म हो गयी. स्थिति ऐसी बनी कि उन्हें अपना घर बेचने तक की नौबत आ गयी थी. वे कर्ज के बोझ तले दबते चले गए. बच्चों ने जहां से बन पड़ा कर्ज लेकर ईलाज कराने की कोशिश की.
ऐसे में उन्हें जिला अस्पताल में निःशुल्क उपचार के संबंध में जानकारी मिली. उन्होंने यहां पर अपना उपचार कराना प्रारम्भ किया. अब उन्हें इलाज के लिए बार बार रायपुर के चक्कर नहीं लगाने पड़ते. राम प्यारे बताते हैं कि उनके इलाज में प्रति माह 90 हज़ार से 1 लाख तक हो जाते थे. ऊपर से आने जाने और अन्य खर्चें अलग से करना पड़ता था. यहां पर उपचार निःशुल्क हो जाता है और कहीं जाने के खर्च की भी जरूरत नहीं पड़ती. इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय एवं शासन का धन्यवाद दिया.
जशपुर के जिला अस्पताल में ना सिर्फ जिले अपितु अन्य जिलों एवं राज्यों के हितग्राही भी लाभान्वित हो रहे हैं. बलरामपुर जिले के कुसमी मोतीनगर में रहने वाली भिन्सारी देवी ने बताया कि उन्हें जब खून चढ़ाया गया तब जांच में रक्त कैंसर की जानकारी मिली. चिकित्सकों ने उच्च उपचार हेतु बड़े शहर में जाने की सलाह दी. उन्होंने रायपुर के निजी अस्पताल एवं झारखंड के टाटा मेमोरियल में इलाज कराना प्रारम्भ किया. जहां 70 हज़ार से अधिक का खर्च हर बार उपचार हेतु आता था. 7 बार उन्होंने वहां ईलाज कराया, जिससे घर के आर्थिक हालात खराब हो गए थे. जब उन्हें जशपुर जिला अस्पताल में इलाज की जानकारी मिली तो उन्होंने यहां उपचार प्रारम्भ कराया. आज उनका निःशुल्क उपचार जिला अस्पताल में बिना किसी चिंता के हो रहा है.
लुड़ेग की संगीता चौहान के जीवन में कठिनाइयां जब आई तो चारों ओर से आईं. एक वर्ष पूर्व उनके पति का स्वर्गवास हो गया. पति की अनुपस्थिति में छोटी सी खेती के माध्यम से घर का पालन पोषण प्रारम्भ किया पर कुछ माह उपरांत ही उनके सीने में दर्द रहने लगा, जब उन्होंने स्वास्थ्य केंद्र में जांच कराई तो स्तन कैंसर होने की जानकारी मिली. तो संगीता के पैरों तले जमीन खिसक गई. 4 बच्चों और सास की जिम्मेदारी के संबंध में सोच कर उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था वह क्या करे. ऐसे में चिकित्सकों ने उसे जिला अस्पताल में कैंसर के निःशुल्क उपचार की बात बताई. संगीता ने जिला अस्पताल में आकर उपचार कराना प्रारम्भ किया. तीन डोज के बाद अस्पताल ले जाने के लिए कोई ना होने के कारण अस्पताल नहीं जा पाई जिसके बाद सीने में घाव के बढ़ने पर उनका चलना फिरना बंद हो गया. जिस पर संगीत ने फिर से जिला अस्पताल में उपचार हेतु कैंसर कीमोथेरेपी नोडल अधिकारी डॉ. लक्ष्मीकांत आपट से संपर्क किया. जहां डॉक्टर ने उसे तुरंत इलाज हेतु जिला अस्पताल बुलाया. उनका जिला अस्पताल में रहकर ही इलाज फिर से प्रारम्भ किया गया. इस संबंध में डॉ. लक्ष्मीकांत आपट ने बताया कि एक बार उपचार प्रारम्भ करने के बाद सभी डोज समय पर लेना चाहिए. जिससे अधिक से अधिक प्रभावी उपचार हो सकेगा. उन्होंने कहा कि यदि किसी व्यक्ति को कैंसर जैसे लक्षण शरीर में दिखाई देते हैं तो उन्हें जल्द से जल्द नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जांच करानी चाहिए एवं अगर परीक्षण में लगे तो तुरंत जिला अस्पताल के दीर्घायु में निःशुल्क उपचार का लाभ लेना चाहिए.