प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने Zerodha के को-फाउंडर निखिल कामथ के साथ पॉडकास्ट किया है. पीएम ने बताया है कि यह उनका पहला पॉडकास्ट है. करीब दो घंटे के इस इंटरव्यू में प्रधानमंत्री ने कई मुद्दों पर खुलकर बात की. इस दौरान निखिल कामथ ने सवाल पूछा कि प्री-सोशल मीडिया पॉलिटिक्स में आप मुख्यमंत्री रहे और पोस्ट सोशल मीडिया पॉलिटिक्स में आप प्रधानमंत्री हैं. इसके बारे में जो युवा राजनीति में आना चाहते हैं, उनको क्या सलाह देना चाहेंगे कि सोशल मीडिया को कैसे इस्तेमाल करें?
इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद के एक स्कूटर वाले का किस्सा बताते हुए कहा कि मोटी चमड़ी का होने के लिए ज्यादा नहीं सोचना चाहिए. पीएम ने कहा, “छोटे-छोटे बच्चे मुझसे सवाल पूछते हैं कि खुद को टीवी पर देखते हैं तो कैसा लगता है. कई बच्चे पूछते हैं कि दिन रात आपको इतनी सारी गालियां मिलती हैं, आपको कैसा लगता है? तो मैं उनका एक चुटकुला सुनाता हूं. मैं कहता हूं कि मैं अहमदाबादी हूं और अहमदाबादी लोगों की एक अलग पहचान है, उनके बहुत चुटकुले चलते हैं.”
उन्होंने आगे बताया, “मैंने कहा एक अहमदाबादी स्कूटर लेकर जा रहा था और किसी के पास बिल्कुल टक्कर लगने जितना करीब चला गया. सामने वाला गुस्सा हो गया. तू-तू मैं-मैं शुरू हो गई. वो गालियां देने लगा. ये जो अहमदाबादी था, ये स्कूटर लेकर चुपचाप खड़े रहा. इतने में कोई आया और बोला कि भई तुम कैसे इंसान हो, ये गालियां दे रहा है और तुम ऐसे ही खड़े हो. वो (स्कूटर वाला) कह रहा है कि भई दे रहा है ना. ले तो नहीं जा रहा है ना कुछ. ये अहमदाबादी हैं कि देकर ही जा रहा है. कुछ लेकर नहीं जा रहा है. तो मैंने भी मन बना लिया कि ठीक है भई दे रहे हैं गालियां. उनके पास जो होगा वो देंगे. मेरे पास जो होगा मैं दूंगा. लेकिन आप सत्य के धरातल पर होने चाहिए. आपके दिल में पाप नहीं होना चाहिए.”
‘संवेदनशीलता के बिना लोगों का भला नहीं कर सकते’
पीएम ने कहा, “अगर कोई पॉलिटिक्स में नहीं है. और किसी ऑफिस में काम करता है तो क्या वहां ऐसा नहीं होता है क्या? एक विशाल परिवार है और उसमें भी दो भाइयों के बीच तनातनी हो तो वहां होता है कि नहीं? जीवन के हर क्षेत्र में कम-अधिक मात्रा में ये होता ही है. इसलिए उसके आधार पर मोटी चमड़ी का होने के लिए ज्यादा सोचना नहीं चाहिए. अत्यंत संवेदनशील होना चाहिए. सार्वजनिक जीवन में संवेदनशीलता के बिना आप लोगों का भला नहीं कर सकते हैं. मैं मानता हूं कि सोशल मीडिया लोकतंत्र की बहुत बड़ी ताकत है. पहले गिने-चुने लोग आपको परोसते थे. आप उसी को सत्य मानते थे. तब भी आप तो फंसे ही हुए थे. आपको सत्यता पता करने के लिए कोई विकल्प नहीं था. किसी ने कहा कि एक लाख लोग मर गए तो आप मानते मर गए.”
‘आज सत्य खोजने के लिए तमाम रास्ते हैं’
उन्होंने कहा कि आज आपके पास कई विकल्प हैं जानकारी की पुष्टि करने के लिए. आपके मोबाइल में हर चीज उपलब्ध है. थोड़ा ध्यान दीजिए आप सत्य के पास पहुंच सकते हैं. इसलिए लोकतंत्र को ताकत देने का काम सोशल मीडिया से हो सकता है. मुझे याद है पहले मैं जब संगठन का काम करता था, तब मैं पॉलिटिक्स में नहीं था. कोई बात हुए बिना भी हम जनसंघ के लोगों को गालियां पड़ती थी. यहां तक की अकाल आया तो हमें गालियां दी जाती थ. तो उस जमाने में भी ऐसा ही हुआ करता था. लेकिन तब प्रिंट मीडिया होता था तो उसकी इतनी ही ताकत थी. सोशल मीडिया थोड़ा बहुत पहले हुआ करता था और आज भी है. लेकिन आज आपके पास सत्य खोजने के लिए तमाम रास्ते हैं. आज का नौजवान ज्यादातर चीजों को वैरिफाई करता है.
गलती से सीखते हैं: PM मोदी
पीएम मोदी से पूछा गया कि क्या इन असफलताओं ने उनके व्यक्तित्व को गढ़ा है? इसके जवाब में पीएम मोदी ने कहा,” जब आरएसएस में काम करता था तो आरएसएस वालों ने जीप ली, मैने तब ड्राइविंग नई-नई सीखी थी. मैं एक आदिवासी क्षेत्र में संघ के पदाधिकारी को लेकर यात्रा कर रहा था. उकाई डैम से हम वापस आ रहे थे, काफी ढलान थी, मैंने सोचा पेट्रोल बच जाएगी तो मैंने गाड़ी बंद कर दी, मुझे ज्ञान नहीं था कि इसके कारण मेरी मुसीबत कैसी आएगी. गाड़ी अनियंत्रित हो गई, ब्रेक लगाएं तो भी मुसीबत थी. क्योंकि तेज गति पकड़ ली , कोई कंट्रोल ही नहीं था. बच गए… लेकिन मेरे बगल वाले को भी पता नहीं चला कि मैंने ऐसा पाप किया है. लेकिन मैंने सीखा. लोग सीखते हैं. गलती से सीखते हैं ”
‘अनुभवों से संवरती हैं जिंदगी’
प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरा मानना है कि जिंदगी अनुभवों से संवरती है. उन्होंने कहा कि वे हमेशा कंफर्ट जोन से बाहर रहे. और जब कंफर्ट जोन से बाहर रहा तो मुझे पता था कि कैसे करना है कैसे जीना है?
निखिल कामथ ने पीएम मोदी से पूछा कि क्या कोई कारण है कि आप आज भी सोचते हैं कि आपको कंफर्ट जोन में नहीं रहना है. इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैं शायद कंफर्ट के लिए अनफिट हूं, ऐसा ही लगता है” जब पीएम से पूछा गया कि उन्हें ऐसा क्यों लगता है तो उन्होंने कहा, ” मैं जिस जीवन को जीकर आया हूं… इसलिए ये मेरे लिए बहुत बड़ी चीज है. छोटी खुशी भी मेरे मन को संतोष देती है क्योंकि बचपन से एक व्यक्ति का मन तैयार हो जाता है उससे उसको लगता है कि संतोष है.”