Vayam Bharat

दुनिया के बड़े सीईओ रोजाना कितने घंटे करते हैं काम? जानिए उनकी मेहनत का शेड्यूल..

इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति ने जब देश के युवाओं को हफ्ते में 70 घंटे काम करने की सलाह दी, तब वर्क-लाइफ बैलेंस को लेकर बड़ी बहस छिड़ गई. फिर इस बहस में गौतम अडानी से लेकर एलन मस्क तक का नाम जुड़ गया… और अब एलएंडटी के चेयरमैन एस.एन. सु्ब्रमण्यम ने इसमें हफ्ते में 90 घंटे काम, यहां तक कि संडे को भी काम करने की बात छेड़कर एक नया मोड़ दे दिया. लेकिन क्या आपको पता है कि एम्प्लॉइज से इतने घंटे काम की उम्मीद रखने वाले दुनिया के बड़े-बड़े सीईओ खुद कितने घंटे काम करते हैं?

Advertisement

90 घंटे काम पर जो बहस शुरू हुई है उससे पहले एलन मस्क जैसे दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क कह चुके हैं कि हफ्ते में 40 घंटे काम करने से दुनिया नहीं बदली जा सकती, इसलिए लोगों को हफ्ते में 80 से 100 घंटे काम करना चाहिए. बॉसेस और सीईओ के काम करने को लेकर कई सर्वे हुए हैं.

हर दिन करना होगा 12 घंटे से ज्यादा काम

अगर आप हफ्ते में 70 घंटे काम करना चाहते हैं, तो 5 Day वर्किंग वीक कॉन्सेप्ट में आपको हर दिन 14 घंटे काम करना होगा. वहीं अगर 90 घंटे काम करना है, तो ये 5 दिन तक 18-18 घंटे काम करने जैसा होगा. वहीं अगर आप 7 दिन लगातार काम करते हैं, तो 70 घंटे के लिए आपको हर दिन 10 घंटे, जबकि 90 घंटे काम के लिए हर दिन 12 घंटे से ज्यादा काम करना होगा.

मीडियम डॉट कॉम की एक खबर के मुताबिक एक सर्वे में ये खुलासा हुआ है कि दुनिया के बड़े-बड़े सीईओ हफ्ते में औसतन 62 घंटे काम करते हैं. ऐसे में उनका अपने एम्प्लॉइज से 70 घंटे और 90 घंटे काम की उम्मीद रखना कई बार अचरज पैदा करने वाला लगता है. वहीं भारत के वर्क कल्चर को लेकर एक सर्वे बताता है कि यहां लोग पहले ही ओवर टाइम काम करते हैं.

सर्वे में एक और बात कही गई है कि इस बहस में बड़ा बाधक सीईओ और बॉसेस के मुकाबले फ्रेशर और मिड लेवल पर एम्प्लॉइज को मिलने वाली सैलरी भी है. सीईओ और बॉसेस के जो पैकेज होते हैं उसमें वह कुक, क्लीन, असिस्टेंट, ड्राइवर्स से लेकर कई अलग-अलग लग्जरी को अफॉर्ड कर पाते हैं. जबकि सामान्य एम्प्लॉई के लिए ये सब काफी मुश्किल है.

कैसे मेंटेन होगा वर्क-लाइफ बैलेंस?

एलन मस्क जहां हफ्ते में 80 से 100 घंटे काम करने की बात करते हैं, वहीं ये भी कहते हैं कि व्यक्ति को दिन में 6 घंटे की नींद पूरी करनी चाहिए ताकि उनकी प्रोडक्टिविटी निगेटिव ना हो, अन्यथा ऑफिस आकर भी वह काम नहीं करेंगे.

जबकि इस मसले पर गौतम अडानी एक अलग बात कहते हैं. वह कहते हैं कि किसी एक व्यक्ति का वर्क लाइफ बैलेंस किसी दूसरे पर थोपा नहीं जा सकता. ये सबके लिए अलग-अलग हो सकता है. बस होना ये चाहिए कि आप जब काम करें वहां आनंद आए और जब परिवार के साथ हों तो उन्हें भी आनंद आए.

Advertisements