न्यायमूर्ति राजीव राय ने बैठक के दौरान कहा कि लोगों को त्वरित न्याय प्रदान करने के लिए न्यायिक और पुलिस अधिकारियों के बीच समन्वय अत्यंत आवश्यक है. उन्होंने यह भी कहा कि अक्सर देखा जाता है कि पुलिस द्वारा समय से सर्विस रिपोर्ट, एग्जीक्यूशन रिपोर्ट और तामिला न्यायालय में समर्पित नहीं की जातीं, जिससे न्याय में देरी हो जाती है। इस परंपरा को बदलने की आवश्यकता है ताकि लोगों को सुलभ और त्वरित न्याय मिल सके.
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न्यायमूर्ति ने सुपौल न्यायालय को 20 पुराने वादों के निपटारे का लक्ष्य दिया है, जिन्हें 30 मार्च 2025 तक निष्पादित करना है. इसके लिए पुलिस अधिकारियों को तत्पर रहने की आवश्यकता होगी. उन्होंने न्यायिक और पुलिस अधिकारियों के बीच समन्वय बढ़ाने के लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाने का निर्देश दिया.
बैठक में जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनंत सिंह ने भी अपनी बात रखी और कहा कि पुलिस को प्रारंभिक जांच और गिरफ्तारी में जो तेजी दिखानी होती है, वही तेजी आगे की प्रक्रियाओं में भी दिखानी चाहिए, ताकि वादी को समय पर न्याय मिल सके.
पुलिस अधीक्षक शैशव यादव ने न्यायमूर्ति के निर्देशों का पालन करने का आश्वासन दिया. इस बैठक में परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश राहुल उपाध्याय, जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश द्वितीय निशिकांत ठाकुर, सीजेएम डॉ. राजेश सिंह, न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम सुदीप पांडेय, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, थानाध्यक्ष और अन्य पुलिस अधिकारी भी उपस्थित थे.