27 साल पहले गर्भ में ही मेरी बेटी की मौत हो गई थी. तभी से वो अक्सर मेरे सपनों में आने लगी. मुझसे बात कर कहती कि उसे मुक्ति चाहिए. बस इसीलिए मैं काशी आई और उसका पिंडदान किया… ये कहानी है बांग्लादेश की उस मुस्लिम महिला की, जिसका पति ईसाई था और अब खुद वो हिंदू बन गई है.
महिला का नाम अंबिया बानो था, जो कि अब हिंदू धर्म अपनाकर अंबिया माला बन गई हैं. उन्होंने अपनी पूरी कहानी सुनाई. बताया- मैं बांग्लादेश में श्रीरामपुर की रहने वाली हूं. लंदन में मेरी शादी ईसाई धर्म को मानने वाले नेविल बॉरन जूनियर से हुआ था. मुझसे विवाह करने के लिए नेवल बार्न ने मुस्लिम धर्म स्वीकार किया था. विवाह के करीब एक दशक बाद नेवल से मेरा तलाक भी शरियत के कानून के अनुरूप हुआ. उस वक्त मैं प्रेग्रेंट हुई थी. लेकिन मैंने अबॉर्शन करवा लिया था.
अंबिया ने बताया-, पिछले कुछ सालों से मेरी वही बेटी सपने में आकर मुझसे अपनी मुक्ति की बात करती थी. इसके बाद तमाम संचार मीडिया के माध्यम से मैंने काशी के विषय में जाना और सामाजिक संस्था ‘आगमन’ को सर्च किया और सम्पर्क साधा. तब मुझे काशी में पिंडदान और मोक्ष के बारे में पता चला. मैंने आगमन संस्था से बात की और सीधे काशी आ गई.
वैशाख पूर्णिमा पर शांति पाठ करवाया गया
यहां अंबिया सोमवार को काशी के दशाश्वमेध घाट पहुंचीं. बनारस में उन्होंने अपनी बेटी की मोक्ष की कामना के लिए वैशाख पूर्णिमा पर दोपहर में शांति पाठ कराया. श्राद्ध कर्म की शुरुआत आचार्य पं दिनेश शंकर दुबे ने कराया. सहयोग में पं सीताराम पाठक, कृष्णकांत पुरोहित, रामकृष्ण पाण्डेय और भंडारी पाण्डेय ने श्राद्ध कर्म कराया.
गंगा स्नान कराकर सनातन धर्म स्वीकार कराया
अंबिया माला ने बताया- जो गलती मेरे पूर्वजों ने की है, मैंने उन्हें सुधारते हुए सनातन धर्म अपना लिया है. काशी पहुंचने पर आगमन संस्था के संस्थापक सचिव डॉ. संतोष ओझा ने अंबिया को गंगा स्नान कराया और सनातन धर्म स्वीकार कराया. इसके बाद पंचगव्य ग्रहण कराकर उनकी आत्मशुद्धि कराई. हिंदू बनकर अंबिया काफी खुश हैं.