भोपाल। हमीदिया अस्पताल के शिशु रोग विभाग ने सर्पदंश से पीड़ित एक तीन साल के मासूम की जान बचाने में सफलता हासिल की है। 8 और 9 अगस्त की दरमियानी रात को इस बच्चे को सांप के काटने की आशंका के चलते जेपी अस्पताल से रेफर किया गया था। भर्ती के समय बच्चे की सांस ठीक से नहीं चल रही थी, इसलिए तुरंत ही उसे वेंटिलेटर पर रखा गया।
तीन साल के मासूम की ऐसे बची जान
डॉक्टरों ने एंटी स्नेक वेनम और अन्य जरूरी उपचार शुरू किए, लेकिन शुरुआत में दवा का असर नहीं दिखा। हालत गंभीर होने पर 40 वायल एंटी स्नेक वेनम लगाना पड़ा। सांप के जहर की वजह से बच्चा बेहोश था और उसका ब्लड प्रेशर भी काफी बढ़ गया था। आईसीयू में लगातार निगरानी और गहन उपचार के बाद चौथे दिन बच्चे ने आंखें खोलीं और परिजनों को पहचानना शुरू किया।
सातवें दिन उसे इनवेसिव वेंटिलेटर से हटाकर नान-इनवेसिव वेंटिलेशन पर रखा गया। 10वें दिन बच्चा सामान्य रूप से सांस लेने लगा और ऑक्सीजन की जरूरत कम हो गई। धीरे-धीरे उसने बोलना और खाना-पीना भी शुरू कर दिया। दो हफ़्ते के भीतर वह बोलने में सक्षम हो गया, हालांकि अभी चलने में असमर्थ है।
सांप ने बच्चे को सिर के पीछे काटा था
डॉक्टरों ने बताया कि इस बच्चे के मामले में न्यूरोटाक्सिसिटी और आटोनामिक डिसफंक्शन जैसे लक्षण सामने आए, जो आमतौर पर कामन क्रेट सांप के काटने में देखे जाते हैं। खास बात यह रही कि सांप ने बच्चे को सिर के पीछे काटा था, जो कि बहुत असामान्यजगह है।
इस कठिन इलाज में शिशु रोग विभाग की हेड के मार्गदर्शन में डॉ. पूर्व गोहिया, डॉ. क्षिप्रा मंडरहा, डॉ. प्रतिभा बामने, डॉ. विनोधिनी, डॉ. सौम्या, डॉ. शिवांशु और डॉ. कृतिका की टीम ने मिलकर उपचार किया। डाक्टरों का कहना है कि समय पर रेफर करना, सही दवाइयां और गहन देखभाल ही इस मासूम की ज़िंदगी बचाने में सबसे अहम साबित हुईं।