रायपुर: महंगी कार की खरीदी और वाहन में निर्माण के समय से ही खराबी का केस छत्तीसगढ़ उपभोक्ता आयोग के सामने आया. इस केस में उपभोक्ता आयोग ने अहम फैसला सुनाया है. आयोग ने नई कार देने का फैसला दिया है. अगर कंपनी कार नहीं देती है तो उसे पूरी राशि ब्याज के साथ लौटाने के आदेश जारी किए गए हैं. रायपुर की शिवालिक इंजीनियरिंग लिमिटेड द्वारा खरीदी गई एक करोड़ से अधिक कीमत की लेक्सस हाइब्रिड कार में तकनीकी खराबी मिलने पर आयोग ने यह फैसला दिया है. लगातार तकनीकी खराबी मिलने पर आयोग ने कंपनी को वाहन बदलने या पूरी राशि ब्याज सहित लौटाने का आदेश दिया है.
महंगी कार बनी परेशानी का सबब: रायपुर स्थित शिवालिक इंजीनियरिंग लिमिटेड ने अपने सीएमडी के व्यक्तिगत और पारिवारिक उपयोग के लिए लेक्सस हाइब्रिड कार मॉडल टीजी350एच खरीदी थी।13 अक्टूबर 2023 को ₹1,01,31,174/- का भुगतान कर यह कार ली गई थी. वाहन अपने मॉडल का छत्तीसगढ़ में पहला वाहन था, लेकिन निर्माता कंपनी और विक्रेता द्वारा आवश्यक दस्तावेज न दिए जाने के कारण वाहन का पंजीयन छह महीने तक लटका रहा. आख़िरकार पंजीयन 20 अप्रैल 2024 को हुआ — इस देरी से उपभोक्ता को मानसिक तनाव झेलना पड़ा.
शुरू से थी तकनीकी खामी, चलती गाड़ी हुई बंद: वाहन की डिलीवरी के कुछ समय बाद ही उसमें स्टार्टिंग प्रॉब्लम और चलते-चलते अचानक बंद हो जाने की समस्या सामने आने लगी. उपभोक्ता ने इसकी जानकारी कंपनी को दी, मगर समय पर कोई कुशल मैकेनिक नहीं भेजा गया. जब निरीक्षण हुआ, तब पाया गया कि वाहन में बैटरी और करेंट लीक की गंभीर समस्या है. वाहन को दूसरे स्रोत से जम्प स्टार्ट कर चलाया गया और सर्विस सेंटर भेजने की सलाह दी गई.
वादे के उलट भुवनेश्वर भेजी गई कार: विक्रेता कंपनी ने मरम्मत के लिए वाहन को भुवनेश्वर (ओडिशा) भेज दिया, जबकि वादा मुंबई या दिल्ली में सर्विस कराने का किया गया था. लेकिन लगभग चार माह बाद जब कार उपभोक्ता को वापस मिली, तो उसमें 6 से अधिक स्थानों पर डेंट और स्क्रैच पाए गए. इसके बावजूद वाहन की पुरानी समस्या जस की तस बनी रही. चलते-चलते कार बंद हो जाती थी, जिससे सुरक्षा पर भी खतरा था.