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PoK के इस गांव में 3 महीने पहले रची गई थी साजिश, रियासी आतंकी हमले में बड़ा खुलासा

जम्मू-कश्मीर के रियासी में हुए आतंकी हमले को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. जांच एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक तीन महीने पहले पीओके के खाइगल गांव में हमले की साजिश रची गई थी. 300 से 400 जेहादी सोपोर में मारे गए 2 आतंकियों अब्दुल वहाब और सनम जफर को लेकर इक्कठा हुए थे. इस जलसे में जल्द हिन्दुस्तान के खिलाफ बड़ी वारदात को अंजाम देने का आह्वान किया गया था.

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कश्मीर में मारे गए आतंकी अब्दुल वहाब के वारिसी खत पढ़कर युवाओं को भारत के खिलाफ जिहाद के लिए आह्वान किया गया था. ISI के इशारे पर यह सभा बुलाई गई थी. कार्यक्रम में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के अलावा जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) से जुड़े चेहरे भी मौजूद थे. सैकड़ों की संख्या में आए लोगों को जिहाद के लिए खड़े होने का आह्वान किया गया.

रियासी में 9 जून को हुआ था आतंकी हमला

जम्मू-कश्मीर के रियासी में 9 जून को आतंकी हमला हुआ था. शिवखोड़ी से कटरा जा रही बस पर आतंकियों ने गोलीबारी कर दी. इस हमले में 9 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई और 33 अन्य घायल हो गए. आतंकियों ने 30 से 40 राउंड फायरिंग की. इसमें से एक गोली बस ड्राइवर को लगी. इसके बाद बस 200 फीट गहरी खाई में गिर गई. बताया जा रहा है कि पाकिस्तानी आतंकवादियों ने बस पर हमला किया.

रियासी हमले के पीछे लश्कर-ए-तैयबा का हाथ

आतंकवादी हमले के पीछे लश्कर-ए-तैयबा का हाथ बताया जा रहा है. एनआईए इस हमले की जांच कर कर रही है. कई लोगों को हिरासत में लिया गया है, जिनसे पूछताछ जारी है. 2019 बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद से ISI ने पीओके और अन्य जगहों पर बने टेरर इंफ्रास्ट्रक्चर को बंद या बेहद कम कर दिया था, उस दौर में पाकिस्तान पर FATF की तलवार लटक रही थी, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं. पाकिस्तान में चुनाव हो चुके और पाक सेना के लिए सरदर्द बने इमरान खान भी मैनेज हो चुके.

पाकिस्तान पर FATF की तलवार हट गई है और IMF चीन की मदद से आर्थिक संकट भी कम हुआ है. अब आने वाले माहीनो में पाकिस्तान फिर से कश्मीर को डिस्टर्ब करने के लिए अपना पुराना जिहादी इंफ्रास्ट्रक्चर शुरू कर रहा है. अभी वर्तमान में पीओके से जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के सबकॉन्टिनेंटल या फिर कहें तंजीमें PAFF और TRF जैसे संगठन कश्मीर घाटी में सक्रिय हैं.

अपने जिहादी तंजीमों को दोबारा खड़ा कर रही ISI

हालांकि, यह संगठन भी ज्यादा टिकाऊ नहीं है. इनमें ज्यादातर लोग स्थानीय कश्मीरी युवा हैं, जो ब्रेनवाश और अन्य वजहों से भटक कर अपनी जान गंवा रहे हैं. ISI अपने जिहादी तंजीमों (संगठन) को दुबारा खड़ा कर रही है. भारत को सतर्क रूप से नजर रखने की जरूरत है. ISI की नजर कश्मीर विधानसभा चुनाव पर भी है. वह हर हाल में विधानसभा चुनाव में अशांति कर उन्हें प्रभावित करने की कोशिश करेगा.

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