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‘एक मुर्दा अपने हक की आवाज उठा रहा है…’, अतुल सुभाष ने राष्ट्रपति को क्यों भेजी थी चिट्ठी?

34 साल के सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष के सुसाइड (Atul Subhash Case Update) की जिसने भी खबर सुनी, वो हैरान-परेशान रह गया. कैसे एक शख्स इतना मजबूर हो गया कि उसने मौत को ही गले लगाना बेहतर समझा. मरने से पहले अतुल ने 24 पन्नों का सुसाइड नोट लिखा. एक वीडियो भी बनाया जो कि 90 मिनट से भी ज्यादा का है. अपने 4 साल के बेटे के नाम एक खत लिखा. और अब उनका एक और पत्र सामने आया है, जो कि अतुल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) के नाम लिखा है. इसमें उन्होंने अपनी आपबीती का जिक्र किया है.

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को तीन पन्नों के लेटर में अतुल ने लिखा- कोर्ट के खिलाफ बोलना जिंदा लोगों के लिए नामुकिन है. लेकिन एक मुर्दा तो बोल ही सकता है. मेरी पत्नी (Nikita Singhania) ने मुझे एक नहीं कई दफा प्रताड़ित किया. कोर्ट में भी मेरी एक न सुनी गई. पत्नी ने मुझे कोर्ट के माध्यम से खूब टॉर्चर किया. 126 तारीखें लगवाई गईं. 40 बार मुझे बेंगलुरु से जौनपुर आना पड़ा. सोचिए मेरे लिए कितना मुश्किल होगा, जिसे सिर्फ 23 ही छुट्टी मिलती हैं. मेरे परिवार को भी कोर्ट में बार-बार आना पड़ा. इन केस से न सिर्फ मैं, बल्कि मेरे बूढ़े माता-पिता और भाई भी इससे परेशान हुए.

अतुल ने आगे कहा गया, ‘आज, भारतीय न्यायपालिका ने अपनी सभी सीमाएं पार कर ली हैं और बिना किसी जवाबदेही के हर इकाई की शक्तियों को हड़पने की कोशिश कर रही है. भारत न्यायिक तानाशाही के तहत आने वाला पहला देश बन सकता है.’ निष्पक्ष न्याय” की आवश्यकता पर जोर देते हुए अतुल ने कहा कि भारतीय न्यायपालिका को अपनी वर्तमान स्थिति को बदलने की जरूरत है.

‘आप कर सकती हैं बदलाव’

पत्र में कहा गया, ‘मुझे लगता है कि आपके पास लोकतंत्र में निष्पक्ष न्याय के महत्व को समझ सकती हैं. साथ ही, आपके पास वो अथॉरिटी है जो कि सुप्रीम कोर्ट से भी कहीं ऊपर है. आप संसद की मदद से न्याय प्रणाली में कुछ बदलाव जरूर कर सकती हैं. ताकि कोई भी मेरी तरह डिप्रेशन में जाए और यह कदम उठाने पर मजबूर न हो.’

पत्र के अंतिम दो पन्नों में, सुभाष ने न्यायपालिका में भ्रष्टाचार को दूर करने के तरीके सुझाए. जबकि “राजनीतिक सक्रियता” में संलग्न न्यायाधीशों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. उन्होंने यह भी कहा कि भ्रष्ट न्यायाधीशों और अदालती अधिकारियों के खिलाफ प्रतिशोध के डर के बिना शिकायत करने का एक तरीका होना चाहिए. लिखा- स्पष्ट पक्षपात दिखाने वाले और न्यायिक सक्रियता दिखाने वाले न्यायाधीशों को कैमरे के सामने संसदीय समितियों के प्रति जवाबदेह होना चाहिए.

एलन मस्क और ट्रंप के लिए संदेश

इसके अलावा दुनिया के अमीर व्यक्तियों में शामिल एलन मस्क और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी अतुल ने संदेश के जरिए मदद मांगी थी. सुभाष ने सुभाष ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक संदेश पोस्ट किया था. इसमें उन्होंने एलन मस्क और अमेरिका के भावी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को टैग किया गया था. उन्होंने लिखा था कि भारत में वर्तमान में पुरुषों का कानूनी नरसंहार हो रहा है. एक मृत व्यक्ति एलन मस्क और डोनाल्ड ट्रंप से लाखों लोगों की जान जागरूक विचारधाराओं, गर्भपात, डीईआई से बचाने और भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बहाल करने का अनुरोध कर रहा है.

पत्नी समेत 5 के खिलाफ FIR

अतुल के भाई की तहरीर पर फिलहाल बेंगलुरु पुलिस ने पत्नी निकिता सिंघानिया समेत 4 के खिलाफ केस दर्ज किया है. अतुल ने जो वीडियो बनाया था. उसमें 5 लोगों को अपनी मौत का जिम्मेदार बताया. इनमें जौनपुर स्पेशल फैमिली कोर्ट की जज रीता कौशिक का भी नाम है. अतुल का आरोप था कि पत्नी ने तो उन्हें परेशान किया ही था. लेकिन कोर्ट से भी उन्हें हमेशा निराशा ही मिली. किसी ने भी उनकी मदद नहीं की.

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