साढ़े 4 साल एब्सेंट रहे डॉक्टर को बनाया BMO:5 बार नोटिस मिला,कार्रवाई के लिए संचालक को भी लिखा था पत्र, दंतेवाड़ा कलेक्टर बोले-जांच करेंगे

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के गीदम में डॉ देवेंद्र प्रताप को BMO (ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर) नियुक्त करने के बाद एक बार फिर से विवाद की स्थिति बन रही है। कांग्रेस का कहना है कि, मरीजों के साथ हुए दुर्व्यवहार समेत अन्य आरोप इन पर लगे थे। जनता के हित को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस की सरकार में इन्हें हटाया गया था।

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लेकिन अब भाजपा की सरकार में नेताओं ने अधिकारियों पर दबाव बनाकर इन्हें BMO की कुर्सी पर बिठा दिया है। इधर भाजपा ने कांग्रेस के इन आरोपों को गलत बताया है। कहा है कि हॉस्पिटल में राजनीति नहीं होनी चाहिए।

पहले समझिए क्यों हो रहा विवाद?

दरअसल, डॉ देवेंद्र प्रताप 2021 में कोविड अस्पताल के प्रभारी थे। शहर के लोगों ने इन पर कोविड मरीज को अस्पताल से बाहर निकालने का आरोप लगाया था और NH-63 पर चक्काजाम कर दिया था। जिसके बाद तत्कालीन कलेक्टर दीपक सोनी के निर्देश पर CMHO ने उन्हें पद से हटा दिया था।

जिसके बाद मामला शांत हुआ था। गीदम में MCH (मातृ एवं शिशु अस्पताल) को ही कोविड अस्पताल बनाया गया था। डॉ देवेंद्र प्रताप दोनों के प्रभारी थे।

5 बार नोटिस थमाया, नहीं दिया जवाब

वहीं कोविड अस्पताल प्रभारी पद से हटाए जाने के बाद से डॉ देवेंद्र प्रपात लगातार एब्सेंट थे। पिछले साढ़े 4 सालों में दंतेवाड़ा के CMHO और सिविल सर्जन ने उन्हें 5 बार नोटिस थमाया। एब्सेंट रहने का कारण पूछा था। लेकिन उन्होंने दंतेवाड़ा के CMHO कार्यालय में किसी भी प्रकार का लिखित में जवाब प्रस्तुत नहीं किया था।

वहीं 6 जून 2022 को तत्कालीन CMHO ने इनपर कार्रवाई करने के लिए संचालक (स्वास्थ्य सेवा) को भी एक पत्र लिखा था। साढ़े 4 साल बाद दंतेवाड़ा में बिना किसी सूचना के एब्सेंट रहने के बाद अब सीधे BMO बनकर लौटे हैं।

नहीं माने अफसरों का निर्देश, थमाया नोटिस

डॉ देवेंद्र प्रताप को शासकीय कारणों से जिला अस्पताल में संलग्न किया गया था। लेकिन वे नहीं गए। वहीं 23 मई 2022 को दंतेवाड़ा जिला अस्पताल के तत्कालीन सिविल सर्जन ने उन्हें पत्र लिखा कि बिना किसी सूचना के पिछले कई महीनों से एब्सेंट हैं। जिले में मुख्यमंत्री का कार्यक्रम है। ऐसे महत्वपूर्ण समय में भी एब्सेंट रहना ये आपके आचरण को दर्शा रहा है।

वहीं 10 मार्च 2023 को जिले के तत्कालीन CMHO ने भी एक पत्र जारी किया था। जिसमें उन्होंने डॉ देवेंद्र प्रपात को लिखा था कि 29 जून 2021 को आपको प्रशासनिक कारणों की वजह से जिला अस्पताल में संलग्न किया गया था। लेकिन आप एब्सेंट हैं। ये सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के विपरीत है। सिविल सर्जन और CMHO के पत्र के बाद भी इन्होंने कोई जवाब नहीं दिया था।

अब जानिए कब-कब इन्हें नोटिस दिया

  • 23 मई 2022 को CMHO ने नोटिस थमाया। जवाब नहीं दिया।
  • 6 जून 2022 को CMHO ने नोटिस दिया। जवाब नहीं दिया। CMHO ने संचालक को भी पत्र लिखा था।
  • 10 मार्च 2023 को CMHO ने नोटिस थमाया। जवाब नहीं दिया।
  • 23 सितंबर 2023 को CMHO ने नोटिस थमाया। जवाब नहीं दिया।
  • 12 जून 2024 को CMHO ने नोटिस थमाया। जवाब नहीं दिया।

उप संचालक ने CMHO को लिखा पत्र

वहीं 30 मई 2025 को उप संचालक (स्वास्थ्य सेवाएं) की तरफ से दंतेवाड़ा CMHO डॉ अजय रामटेके को एक पत्र लिखा गया। जिसमें कहा गया कि 23 अप्रैल 2025 को डॉ देवेंद्र प्रताप का जवाब मिला है। उन्होंने कहा है कि पारिवारिक कारणों की वजह से वे 21 अगस्त 2021 से एब्सेंट थे। पारिवारिक स्थिति में सुधार आने की वजह से कार्य पर उपस्थिति स्वीकार करने उन्होंने अनुरोध किया है।

4 जुलाई को CMHO ने जारी किया आदेश

वहीं दंतेवाड़ा जिले के CMHO अजय रामटेके ने 4 जुलाई 2025 को एक आदेश जारी कर डॉ देवेंद्र प्रताप को गीदम ब्लॉक का BMO नियुक्त कर दिया। अब सूत्र बता रहे हैं कि देवेंद्र प्रताप को BMO बनाने के लिए CMHO पर बड़े स्तर पर पॉलिटिकल दबाव बनाया गया था। हालांकि, CMHO की तरफ से इस संबंध में कोई बयान सामने नहीं आया है।

कलेक्टर बोले- जांच करेंगे

इस मामले के संबंध में जब हमने दंतेवाड़ा जिले के कलेक्टर कुणाल दुदावत से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि शिकायत मिलने पर मामले की जांच की जाएगी।

कांग्रेस बोली- भ्रष्टाचार करवाने की मंशा

गीदम नगर पंचायत की पूर्व अध्यक्ष साक्षी रविश सुराना ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। साक्षी का कहना है कि, विवादों में रहने वाले डॉक्टर को BMO बनाना, CMHO जैसे अधिकारी पर सरकार का दबाव बनाना ये भाजपा का काम है।

पद में भले ही किसी डॉक्टर को बिठा दिया गया है, लेकिन यहां खरीदी बिक्री के कामों, पूर्व में हुए कामों के पैसे निकालने का काम भाजपा के लोगों के इशारे पर ही किया जाएगा। ये साफ है कि अस्पताल को कमाई का जरिया बनाकर भ्रष्टाचार करवाने की कोशिश है।

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