उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में फर्जी कस्टम अधिकारी बनकर एक महिला के साथ 94 लाख 78 हजार रुपये की साइबर धोखाधड़ी करने का मामला सामने आया है. साइबर क्राइम थाना पुलिस ने एक और आरोपी को गिरफ्तार कर बड़ी सफलता हासिल की है. इस मामले में पहले ही एक महिला आरोपी को गिरफ्तार किया जा चुका है. यह महिला आरोपी मूल रूप से मणिपुर की रहने वाली है और दिल्ली में अपने गैंग के साथ मिलकर साइबर ठगी की घटनाओं को अंजाम दे रही थी. उसे साइबर क्राइम थाना पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा है. रविवार को एसपी क्राइम सुभाष चंद्र गंगवार ने रिजर्व पुलिस लाइंस में प्रेस वार्ता आयोजित कर पीड़ित महिला के साथ हुई साइबर ठगी की घटना का खुलासा किया.
एसपी क्राइम सुभाष चंद्र गंगवार ने बताया कि साइबर थाना मुरादाबाद में 31 अगस्त को एक धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज हुआ था. पीड़िता ने शिकायत दर्ज कराई कि उसने shaadi.com पर एक प्रोफाइल बनाई थी. इस प्रोफाइल पर ‘आरव सिंह’ नाम के व्यक्ति ने संपर्क किया और खुद को एनआरआई बताते हुए शादी की बात आगे बढ़ाई. उसने बताया कि वह अमेरिका से एक पार्सल भेज रहा है. जिसमें शादी का कीमती गिफ्ट है.
पार्सल पहुंचने पर फर्जी कॉल आया कि इसमें कीमती सामान है. जिसे छुड़ाने के लिए पैसे देने पड़ेंगे. पीड़िता ने पहले पैसे दिए. उसके बाद मनी लॉन्ड्रिंग के झूठे केस में फंसाने की धमकी देकर फर्जी कस्टम अधिकारी बनकर एक महिला ने उससे बात की और कुल 94 लाख 78 हजार रुपये ठग लिए.
पुलिस ने दो आरोपियों को किया गिरफ्तार
31 अगस्त को मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस लगातार जांच में जुटी थी. रविवार को इस मामले में दिल्ली के उत्तम नगर निवासी दूसरे आरोपी नवी पुत्र राजेश को साइबर क्राइम थाना पुलिस ने गिरफ्तार किया. उसके कब्जे से एक लैपटॉप, चार मोबाइल फोन, 9 एटीएम कार्ड, 11 चेकबुक, 8 पासबुक, 1 आधार कार्ड और 1 पैन कार्ड बरामद किया गया. जबकि पहले गिरफ्तार महिला आरोपी कोनसम सुनीता (पुत्री कोनसम जॉन) को दिल्ली के उत्तम नगर से गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है.
पुलिस ने बरामद किए कई डॉक्यूमेंट्स
सुनीता के कब्जे से 20,570 रुपये नकद, एक लैपटॉप, 8 मोबाइल फोन, 9 एटीएम कार्ड, 6 सिम कार्ड और बैंक चेकबुक-पासबुक बरामद की गई थीं. पूछताछ में सुनीता ने बताया कि वह दिल्ली में काम की तलाश में एक युवक के संपर्क में आई थी, जिसने उसे साइबर फ्रॉड गैंग में शामिल किया. उसका मुख्य काम बैंक खाते उपलब्ध कराना और फर्जी कस्टम अधिकारी बनकर पीड़ितों से पैसे वसूलना था.