उदयपुर में नारायण सेवा संस्थान द्वारा आयोजित दिव्यांग विवाह समारोह में कई जोड़े शादी के बंधन में बंधे, लेकिन इनमें से एक जोड़ा ऐसा था, जो विशेष रूप से दिल को छूने वाला था. समारोह में पहुंचे दूल्हे के दोनों हाथ नहीं थे और दुल्हन पोलियो से ग्रसित थी.
जोड़े ने जब सात फेरे और अन्य रस्में पूरी कीं तो वहां मौजूद सभी लोग भावुक हो गए. विशेष रूप से, जब वरमाला हुई तो दूल्हे ने अपने पैरों से दुल्हन को माला पहनाई और दुल्हन ने स्ट्राइक साइकिल से बैठकर दूल्हे को माला पहनाई, यह पल वाकई भावुक था. इस समारोह में कुल 51 जोड़े शादी के बंधन में बंधे.
धर्मदास के दोनों हाथ जन्म से नहीं थे और उनकी अर्धांगिनी बनने वाली रेशमा का कमर से नीचे का हिस्सा असक्रिय था. ऐसे में जब दोनों ने एक-दूसरे के हाथों में बंधने वाला गठबंधन किया तो यह दृश्य बहुत भावनात्मक था. उन्हें बैठाकर फेरे दिलवाए गए और यह एक शानदार उदाहरण था कि कैसे प्रेम और समर्थन से जीवन की कठिनाइयों को पार किया जा सकता है.
वॉट्सऐप ग्रुप से हुई जान-पहचान
धर्मदास पाल, जो मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले के पठारी पेठपुरा गांव के निवासी हैं. उन्होंने अपनी कठिनाइयों को कभी भी अपनी मेहनत और सपनों के रास्ते में रुकावट नहीं बनने दिया. वह जन्म से दिव्यांग होते हुए भी 12वीं तक पढ़ाई पूरी करने के बाद कम्प्यूटर ऑपरेटर और प्रिंटिंग प्रेस में काम कर रहे हैं. उन्होंने नारायण सेवा संस्थान के मुफ्त सेवा प्रकल्पों के बारे में टेलीविजन के माध्यम से जाना और फिर उन्होंने अपनी जिंदगी की नई दिशा पाई.
वहीं, रेशमा परमार का जीवन भी संघर्षों से भरा था. एक साल की उम्र में पोलियो के कारण उनका कमर से नीचे का हिस्सा असक्रिय हो गया था. इसके बावजूद, वह अपनी मेहनत और आत्मनिर्भरता से घर के सभी काम करती हैं और अपने जीवन को पूरी तरह से संभालती हैं. उनकी मुलाकात धर्मदास से एक वॉट्सऐप ग्रुप के माध्यम से हुई थी.
अड़चनों के बाद भी हो गई शादी
वॉट्सऐप ग्रुप दिव्यांग व्यक्तियों के लिए बनाया गया था. दोनों के बीच धीरे-धीरे घनिष्ठता बढ़ी और छह महीने पहले परिवारों की सहमति से उनकी सगाई हुई. इनकी शादी पहले आर्थिक कारणों से नहीं हो पा रही थी, लेकिन नारायण सेवा संस्थान की पहल और समर्थन से इन दोनों की शादी निःशुल्क सामूहिक विवाह समारोह में करवाई गई.