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जबलपुर के मदन महल में गोंडवाना कालीन इतिहास की झलक, बनेगा अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल

मिसिर महाराज, जबलपुर : जबलपुर में आद्य महाकल्प (प्रीकैम्ब्रियन युग ) की चट्टानें आज भी अपनी सुंदरता के साथ सीना ताने खड़ी हैं. मदन महल की पहाड़ी के नाम से प्रसिद्ध इस पर्वत माला पर गोंडशासकों ने विशेष जलसंरचनाएं तैयार कीं जाे आज ठाकुरताल और संग्राम सागर के नाम से प्रसिद्ध हैं। पर्वत के शिखर पर होने के कारण ठाकुरताल को शिखर सरोवर कहा गया तो संग्राम सागर को सुरंग वाली जलसंरचना के रूप में जाना गया.

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पंद्रवी शताब्दी के दौरान संग्राम सागर के मध्य बने संग्राम महल का उपयोग रानी दुर्गावती विशेष बठकों के लिए करती थीं. बाद ब्रिटिश अफसरों ने भी यहां बने परकोटे में बैठकें कीं. पौराणिक , प्राकृतिक और पुरातात्विक महत्व के कई मनोरम स्थलों वाली इसी पर्वत माला में स्थित है गोंडवाना कालीन तांत्रिक मंदिर जिसे बाजना मठ के नाम से जाना जाता है. यहां भैरव की आराधना बाल स्वरूप में होती है.

कलेक्टर दीपक सक्सेना का कहना है कि मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड (एमपीटीबी) से इस पोटेंशियल डेस्टिनेशन को लेकर बात हुई हैँ। इन प्राचीन चट्टानों के समूह के बीच हरियाली और जल संरचनाओं के अदभुत मेल को देखने के लिए प्रस्ताव तैयार करेगा ताकि यहां फुटफाल बढ़ाया जा सके.

संग्राम सागर को अंग्रेज बताते थे वातानुकूलित स्थल

संग्राम सागर को अंग्रेज वातानुकूलित स्थल बताया करते थे। गर्मी के मौसम में अंग्रेज संग्राम सागर स्थित महल में बैठकें किया करते थे. हालांकि यह महल अब जर्जर हो गया है। यद्यपि संग्राम सागर के आसपास पर्यटन विकास को लेकर बहुत से कार्य हुए लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर इस स्थल को लोकप्रिय बनाने के लिए बहुत कुछ करना बाकी है.

मध्य प्रदेश पर्यटन बोर्ड (एमपीटीबी ) भी जबलपुर को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का पर्यटन स्थल बनाने कार्य योजना बना था है. पर्यटन सचिव शिव शेखर शुक्ला का कहना है कि जबलपुर जबलपुर से लगे पर्वतीय क्षेत्र का लम्हेटा घाट का भूभाग यूनेस्को साइट के।लिए चिन्हित किया गया है. जबलपुर का आकर्षण ऐसा है कि यहां दुनिया भर के पर्यटकों की आवाजाही बढ़ेगी.

विश्व की सबसे प्राचीन चट्टानें
इतिहासकार आनंद सिंह राणा कहते हैं कि जबलपुर में प्री क्रेम्ब्रियन युग की सबसे प्राचीन चट्टानें हैं. भूगर्भशास्त्र के अनुसार गोंडवाना लैंड के निर्माण के साथ-साथ इन चट्टानों का निर्माण आरंभ हुआ था. आग्नेय शैल श्रेणी की चट्टानों की मजबूती का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि इन पत्थरों पर तथा इन्हीें पत्थरों से निर्मित मदन महल का किला 600 वर्षों से जैसा का तैसा खड़ा है. जबलपुर में भूकंप आने के बावजूद भी इस पर्वता माला में स्थित बैलेसिंग राक नहीं हिली.

त्रिपुरी कारीडोर
त्रिपुरी के कलचुरी राजाओं ने 7 वीं से 13 वीं शताब्दी के मध्य भारत के कुछ हिस्सों पर शासन किया. उनकी राजधानी त्रिपुरी (तेवर, जबलपुर ) थी. चंदेल शासकों को पराजित करने वाले कलचुरी राजाओं की कुलदेवी त्रिपुर सुंदरी का मंदिर तथा चौसठ योगिनी मंदिर आज जनआस्था के बड़े केंद्र और अपनी स्थापत्य कला के कारण लोगों का ध्यान आकर्षित करते हैं। कर्णावती बस्ती आदि त्रिपुरीकालीन स्थापत्य आज भी आकर्षण का केंद्र हैं.

रोप वे से निखरेगा सौंदर्य

मदन महल की पहाड़ी पर स्थित ठाकुर ताल, संग्राम सागर , बाल सागर आदि सरोवरों के साथ-साथ यहां की हरियाली तथा पत्थरों की विविध आकृति को देखने के लिए रोप वे अच्छा माध्यम हो सकता है। इस योजना पर जिला प्रशासन और नगर निगम मिलकर प्रयास कर रहे हैं.

जबलपुर पुरातत्व पर्यटन परिषद (जेएटीसीसी) के सीईओ हेमंत सिंह का कहना है कि कई किलोमीटर के क्षेत्रफल में पत्थरों के पहाड़ और नर्मदा का किनारा जबलपुर में पर्यटन की संभावना का विस्तार करेगा.

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