छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में नाबालिग लड़की के अपहरण केस में नया मोड़ आ गया है। अगस्त 2024 में लापता हुई लड़की 9 महीने बाद सकुशल लौट आई है। वह बालोद में अपनी बुआ के घर रह रही थी। लड़की के लापता होने पर परिजनों ने पुलिस में अपहरण का मामला दर्ज कराया था।
पुलिस जांच में एक 40 वर्षीय पड़ोसी युवक पर शक हुआ। कॉल डिटेल से पता चला कि लड़की की उससे बात होती थी। पुलिस ने 31 जनवरी 2025 को संदिग्ध को हिरासत में लिया। पूछताछ में उसने श्मशान घाट में एक कब्र की जगह बताई। कार्यपालिक दंडाधिकारी की मौजूदगी में कब्र खोदी गई। हालांकि, उसमें मिला कंकाल 10 साल पुराना निकला।
27 मार्च को आदिवासी समाज ने निर्दोष को प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए देवभोग थाने का घेराव भी किया था।
रिश्तेदार के घर रह रही थी लड़की
मंगलवार की रात लड़की अपने माता-पिता के पुरनापानी स्थित कुरलापारा में पहुंची। उसने बताया कि वह बालोद में अपने बुआ के घर रह रही थी। थाना प्रभारी फैजुल होदा शाह के अनुसार, लड़की अब बालिग हो चुकी है।
मामले की रिपोर्ट न्यायालय को भेजी जा रही है। न्यायालय के समक्ष बयान दर्ज किए जाएंगे। अपराध की पुष्टि होने पर उच्च अधिकारियों के मार्गदर्शन में कार्रवाई की जाएगी।
आदिवासी समाज ने घेरा था थाना
आदिवासी विकास परिषद ने 27 मार्च को देवभोग थाने का घेराव कर दिया था। समाज के नेत्री लोकेश्वरी नेताम और संजय नेताम के नेतृत्व में समाज ने ज्ञापन भी सौंपा, जिसमें लालधर को बेकसूर बताया गया था। आरोप लगाया गया था कि पुलिस ने लालधर को शारीरिक मानसिक यातनाएं दी। पिटाई से लालधर का एक पैर टूट गया है।